त्योहार या उत्सव हमारे सुख और हर्षोल्लास के प्रतीक है जो परिस्थिति के अनुसार अपने रंग-रुप और आकार में भिन्न होते हैं। त्योहार मनाने के विधि-विधान भी भिन्न हो सकते है किंतु इनका अभिप्राय आनंद प्राप्ति या किसी विशिष्ट आस्था का संरक्षण होता है। सभी त्योहारों से कोई न कोई पौराणिक कथा अवश्य जुड़ी हुई है और इन कथाओं का संबंध तर्क से न होकर अधिकतर आस्था से होता है। यह भी कहा जा सकता है कि पौराणिक कथाएं प्रतीकात्मक होती हैं।
दीपावली :----
दीपावली शब्द ‘दीप’ एवं ‘आवली’ की संधिसे बना है। आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है, दीपों की पंक्ति । भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है।
यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्तूबर या नवंबर महीने में पड़ता है।
दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मुरम्मत, रंग-रोगन,सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता हैं। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा कर सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।
पर्वों का समूह दीपावली :---
दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं।
1.धनतेरस :-
दीपावली का शुभारंभ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन से होता है। इसे धनतेरस कहा जाता है। इस दिन आरोग्य के देवता धन्वंतरि की आराधना की जाती है। इस दिन नए-नए बर्तन, आभूषण इत्यादि खरीदने का रिवाज है। इस दिन घी के दिये जलाकर देवी लक्ष्मी का आहवान किया जाता है।
2.नरक चौदस :-
दूसरे दिन चतुर्दशी को नरक-चौदस मनाया जाता है।इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल व पाँच अन्न के दाने डाल कर इसे घर की नाली ओर जलाकर रखा जाता है। यह दीपक यम दीपक कहलाता है।
एक अन्य दंत-कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था।
3.दीपावली :-
तीसरे दिन अमावस्या को दिवाली का त्योहार पूरे भारतवर्ष के अतिरिक्त विश्वभर में बसे भारतीय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी व गणेश की पूजा की जाती है। यह भिन्न-भिन्न स्थानों पर विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
4.गोवर्धन पूजा :-
दीपावली के पश्चात अन्नकूट मनाया जाता है। यह दीपावली की श्रृंखला में चौथा उत्सव होता है। लोग इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर गोवर्धन की पूजा करते हैं।
5.भैयादूज :-
शुक्ल द्वितीया को भाई-दूज या भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि यदि इस दिन भाई और बहन यमुना में स्नान करें तो यमराज निकट नहीं फटकता।
धार्मिक संदर्भ :---
दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियाँ हैं।
* राम भक्तों के अनुसार दीपावली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। उनके लौटने कि खुशी मे आज भी लोग यह पर्व मनाते है।
* कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए।
* एक पौराणिक कथा के अनुसार विंष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए।
* जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही हुआ था।
* बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में लाखों दीप जला कर दीपावली मनाई थी। दीपावली मनाने के कारण कुछ भी रहे हों परंतु यह निश्चित है कि यह वस्तुत: दीपोत्सव है।
* सिक्खों के लिए भी दिवाली महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था और दीपावली ही के दिन सिक्खों के छ्टे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था।
* नेपालियों के लिए यह त्योहार इसलिए महान है क्योंकि इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष आरम्भ होता है।
* पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ। इन्होंने दीपावली के दिन गंगातट पर स्नान करते समय 'ओम' कहते हुए समाधि ले ली।
* महर्षि दयानन्द ने भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया। इन्होंने आर्य समाज की स्थापना की।
* दीन-ए-इलाही के प्रवर्तक मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में दौलतखाने के सामने ४० गज ऊँचे बाँस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था। बादशाह जहाँगीर भी दीपावली धूमधाम से मनाते थे।
* मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर दीपावली को त्योहार के रूप में मनाते थे और इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में वे भाग लेते थे।
* शाह आलम द्वितीय के समय में समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था एवं लालकिले में आयोजित कार्यक्रमों में हिन्दू-मुसलमान दोनों भाग लेते थे।
परंपरा :---
अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीपावली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीपावली की बहुत उमंग होती है।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन कैसे करें :---
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन पूरे विधि-विधान से करा जाना बेहद शुभ माना जाता है ताकि धन की देवी प्रसन्न रहे और घर में खुशियों का माहौल बना रहे |
दीपावली पर मां लक्ष्मी व गणेश के साथ सरस्वती मैया की भी पूजा की जाती है | दीपावली के दिन दीपकों की पूजा का विशेष महत्व हैं | इसके लिए दो थालों में दीपक रखें. छः चौमुखे दीपक दोनो थालों में रखें | छब्बीस छोटे दीपक भी दोनो थालों में सजायें | व्यापारी लोग दुकान की गद्दी पर गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर पूजा करें | इसके बाद घर आकर पूजन करें | पहले पुरूष फिर स्त्रियां पूजन करें | दिवार पर लक्ष्मी जी की फोटो लगा कर सामने एक चौकी रखकर उस पर मौली बांधें फिर जल, मौली, चावल, फल, गुढ़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजन करें | लक्ष्मी जी के सामने अपनी क्षमता के अनुसार पैसे रखें और व्यापारी लोग अपने बही खाते भी रख सकते है | और निम्न मंत्र से मां लक्ष्मी की वंदना करें :
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया |
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥
इसके बाद मां की आरती सहपरिवार गाएं | पूजा के बाद खील बताशों का प्रसाद सभी को बांटे |
कर्मचारियों की दीपावली :---
दीपवाली का त्योहार का किसी संस्थान या फैक्ट्री, आफिस में काम करने वालों को भी बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि दीपावली को कर्मचारियों को बोनस, गिफ्ट आदि संस्थान देते हैं। चाहे वह सरकारी संस्था में कार्यरत है या किसी प्राइवेट संस्था में काम करता हो।
पटाखों से रहे सावधान :---
दीपावली दीपों का त्यौहार है | जममगाते दीपों के साथ पटाखों के मेल से यह और भी सुनहरा हो जाता है लेकिन कई बार पटाखे किसी अप्रिय घटना की वजह बनते है, इसलिए ध्यान रखे | पटाखे न सिर्फ शरीर के लिए हानिकारक है बल्कि यह वातावरण को भी दूषित करते हैं | बीते कुछ सालों में दीपावली के समय जिस तरह से वायु प्रदुषण की समस्या आ रही है उससे लोगों को समझना होगा कि दीपावली दीपों और खुशियों का त्यौहार है न कि आवाज, शोर और प्रदुषण का |
कुप्रथाएं :---
दीपावली के इस शुभ त्यौहार को कुछ असामाजिक कुप्रथाओं ने भी जकड़ रखा है जैसे जुआ और तेज आवाज के पटाखे |धन की देवी की पूजा के दिन ही लक्ष्मी को दांव पर लगाने का पाप करने वालों में अब अमीर घर के लोग भी शामिल होते है और उनका तर्क होता है कि इस दिन जुआ खेलना शास्त्रों में लिखा है |लेकिन वह इस जुएं को गलत मायनों में ले लेते है | सिर्फ आपसी प्यार और मेलजोल को बढ़ाने के लिए जो खेल शुरु हुआ था उसे आपाराधिक रुप देकर पाप के भोगी न बनें |
इस दीपावली कुछ ऐसा करें ताकि आपके साथ किसी और की भी जिन्दगी रोशन हो सके| पटाखों में रुपए जलाने से बेहतर है वही पैसे किसी जरुरतमंद को दें| गरीबों में मिठाई बांट उनकी जिन्दगी में मिठास घोल मानवता के प्रति कुछ कर्म कीजिए | साथ ही पटाखों का कम उपयोग कर प्रकृति के बैलेंस को बनाएं रखें |
दीपावली शब्द ‘दीप’ एवं ‘आवली’ की संधिसे बना है। आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है, दीपों की पंक्ति । भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदों की आज्ञा है।
यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्तूबर या नवंबर महीने में पड़ता है।
दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मुरम्मत, रंग-रोगन,सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता हैं। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा कर सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।
पर्वों का समूह दीपावली :---
दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं।
1.धनतेरस :-
दीपावली का शुभारंभ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन से होता है। इसे धनतेरस कहा जाता है। इस दिन आरोग्य के देवता धन्वंतरि की आराधना की जाती है। इस दिन नए-नए बर्तन, आभूषण इत्यादि खरीदने का रिवाज है। इस दिन घी के दिये जलाकर देवी लक्ष्मी का आहवान किया जाता है।
2.नरक चौदस :-
दूसरे दिन चतुर्दशी को नरक-चौदस मनाया जाता है।इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल व पाँच अन्न के दाने डाल कर इसे घर की नाली ओर जलाकर रखा जाता है। यह दीपक यम दीपक कहलाता है।
एक अन्य दंत-कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था।
तीसरे दिन अमावस्या को दिवाली का त्योहार पूरे भारतवर्ष के अतिरिक्त विश्वभर में बसे भारतीय हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी व गणेश की पूजा की जाती है। यह भिन्न-भिन्न स्थानों पर विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
4.गोवर्धन पूजा :-
दीपावली के पश्चात अन्नकूट मनाया जाता है। यह दीपावली की श्रृंखला में चौथा उत्सव होता है। लोग इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर गोवर्धन की पूजा करते हैं।
5.भैयादूज :-
शुक्ल द्वितीया को भाई-दूज या भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि यदि इस दिन भाई और बहन यमुना में स्नान करें तो यमराज निकट नहीं फटकता।
धार्मिक संदर्भ :---
दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियाँ हैं।
* राम भक्तों के अनुसार दीपावली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। उनके लौटने कि खुशी मे आज भी लोग यह पर्व मनाते है।
* कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए।
* एक पौराणिक कथा के अनुसार विंष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए।
* जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही हुआ था।
* बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने 2500 वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध के स्वागत में लाखों दीप जला कर दीपावली मनाई थी। दीपावली मनाने के कारण कुछ भी रहे हों परंतु यह निश्चित है कि यह वस्तुत: दीपोत्सव है।
* सिक्खों के लिए भी दिवाली महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था और दीपावली ही के दिन सिक्खों के छ्टे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी को कारागार से रिहा किया गया था।
* नेपालियों के लिए यह त्योहार इसलिए महान है क्योंकि इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष आरम्भ होता है।
* पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ। इन्होंने दीपावली के दिन गंगातट पर स्नान करते समय 'ओम' कहते हुए समाधि ले ली।
* महर्षि दयानन्द ने भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया। इन्होंने आर्य समाज की स्थापना की।
* दीन-ए-इलाही के प्रवर्तक मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में दौलतखाने के सामने ४० गज ऊँचे बाँस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था। बादशाह जहाँगीर भी दीपावली धूमधाम से मनाते थे।
* मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर दीपावली को त्योहार के रूप में मनाते थे और इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में वे भाग लेते थे।
* शाह आलम द्वितीय के समय में समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था एवं लालकिले में आयोजित कार्यक्रमों में हिन्दू-मुसलमान दोनों भाग लेते थे।
परंपरा :---
अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीपावली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीपावली की बहुत उमंग होती है।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन कैसे करें :---
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन पूरे विधि-विधान से करा जाना बेहद शुभ माना जाता है ताकि धन की देवी प्रसन्न रहे और घर में खुशियों का माहौल बना रहे |
दीपावली पर मां लक्ष्मी व गणेश के साथ सरस्वती मैया की भी पूजा की जाती है | दीपावली के दिन दीपकों की पूजा का विशेष महत्व हैं | इसके लिए दो थालों में दीपक रखें. छः चौमुखे दीपक दोनो थालों में रखें | छब्बीस छोटे दीपक भी दोनो थालों में सजायें | व्यापारी लोग दुकान की गद्दी पर गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा रखकर पूजा करें | इसके बाद घर आकर पूजन करें | पहले पुरूष फिर स्त्रियां पूजन करें | दिवार पर लक्ष्मी जी की फोटो लगा कर सामने एक चौकी रखकर उस पर मौली बांधें फिर जल, मौली, चावल, फल, गुढ़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजन करें | लक्ष्मी जी के सामने अपनी क्षमता के अनुसार पैसे रखें और व्यापारी लोग अपने बही खाते भी रख सकते है | और निम्न मंत्र से मां लक्ष्मी की वंदना करें :
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया |
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥
इसके बाद मां की आरती सहपरिवार गाएं | पूजा के बाद खील बताशों का प्रसाद सभी को बांटे |
कर्मचारियों की दीपावली :---
दीपवाली का त्योहार का किसी संस्थान या फैक्ट्री, आफिस में काम करने वालों को भी बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि दीपावली को कर्मचारियों को बोनस, गिफ्ट आदि संस्थान देते हैं। चाहे वह सरकारी संस्था में कार्यरत है या किसी प्राइवेट संस्था में काम करता हो।
पटाखों से रहे सावधान :---
दीपावली दीपों का त्यौहार है | जममगाते दीपों के साथ पटाखों के मेल से यह और भी सुनहरा हो जाता है लेकिन कई बार पटाखे किसी अप्रिय घटना की वजह बनते है, इसलिए ध्यान रखे | पटाखे न सिर्फ शरीर के लिए हानिकारक है बल्कि यह वातावरण को भी दूषित करते हैं | बीते कुछ सालों में दीपावली के समय जिस तरह से वायु प्रदुषण की समस्या आ रही है उससे लोगों को समझना होगा कि दीपावली दीपों और खुशियों का त्यौहार है न कि आवाज, शोर और प्रदुषण का |
कुप्रथाएं :---
दीपावली के इस शुभ त्यौहार को कुछ असामाजिक कुप्रथाओं ने भी जकड़ रखा है जैसे जुआ और तेज आवाज के पटाखे |धन की देवी की पूजा के दिन ही लक्ष्मी को दांव पर लगाने का पाप करने वालों में अब अमीर घर के लोग भी शामिल होते है और उनका तर्क होता है कि इस दिन जुआ खेलना शास्त्रों में लिखा है |लेकिन वह इस जुएं को गलत मायनों में ले लेते है | सिर्फ आपसी प्यार और मेलजोल को बढ़ाने के लिए जो खेल शुरु हुआ था उसे आपाराधिक रुप देकर पाप के भोगी न बनें |
इस दीपावली कुछ ऐसा करें ताकि आपके साथ किसी और की भी जिन्दगी रोशन हो सके| पटाखों में रुपए जलाने से बेहतर है वही पैसे किसी जरुरतमंद को दें| गरीबों में मिठाई बांट उनकी जिन्दगी में मिठास घोल मानवता के प्रति कुछ कर्म कीजिए | साथ ही पटाखों का कम उपयोग कर प्रकृति के बैलेंस को बनाएं रखें |
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