शनिवार, 9 नवंबर 2013

हनुमान मंदिर चलिया भाग 5.

आज वीरवार है ... 31.10.2013...
आज सुबह 6.45 पर ही फ्री होकर निकल गई मंदिर के लिए ..
आज रास्ते सजे हुए हैं सभी बाजारों में लड़ियाँ वगेरह लग चुकी हैं क्योंकि दिवाली आने वाली है ......
6.59 पर मेट्रो में प्रवेश कर चुकी हूँ सामने वाले डिब्बे खाली मिलते हैं तो उसी में चढ़ जाते हैं नहीं तो महिलायों वाले डिब्बे में आगे चलकर जाना पड़ता है ,अगर सीट नहीं मिलती तो अन्दर से ही आगे पहुँच जाते हैं 
जैसे कि सुबह सुबह काफी स्टूडेंट्स दिखाई देते हैं तो....
 आज भी किसी स्कूल के स्टूडेंट्स दो लड़के मेट्रो में चढ़े और आपस में वार्तालाप शुरू हो गया ...
आजकल के बच्चों को पता नहीं क्या हो गया है गली निकाले बिना बात नहीं करते हैं साला साला तो ऐसे बोलते हैं जैसे इनकी मातृभाषा हो ...
आपस में जो बातचीत हो रही थी वो बहुत ही टेंशन में थे कि स्कूल पहुँचाने में आज फिर लेट हो गए हैं ...
कहीं प्रिंसी [ शार्ट फॉर्म of प्रिंसिपल ] मेरे घर फ़ोन न कर दे पापा आज घर पर हैं बहुत गालियां देंगे ,अगर पापा चले गए तो मम्मी को तो मैं संभाल लूँगा ..
दूसरा बोला अगर स्कूल में enter नहीं करने दिया तो मैं तो घर आ जायूँगा आराम से आकर रेस्ट करूँगा फिर उठकर पढूंगा ....
अरे अमित बम फोड़ता है तो प्रिंसी उसे कुछ नहीं कहती हमें तो स्कूल से निकाल देगी ....
आज का हमारा भविष्य कितना तनावपूर्ण माहौल में जी रहा है भगवान ही मालिक है इन सबका ....
मेट्रो से उतरकर मंदिर पहुँच गई हूँ और माथा टेकने के बाद वोही फूलों का ढेर देख मन में आया महंत जी से पूछती हूँ इसकी क्या व्यवस्था है ...
इसलिए महंत प्रमोद शर्मा जी से पूछा आप फूलों का क्या करते हैं तो उन्होंने कहा पहले तो यमुना जी में बहा देते थे लेकिन अब समस्या हो गई है आपके पास कोई उपाय हो तो बताएं ,मैंने कहा मैं आपको कल ही पता करके बताती हूँ ....
इतना कह मैं बाहर आ गई और पहुँच गई मेट्रो से अपने घर की तरफ ...
आते समय सड़क पर भीड़ हो जाती है सभी ऑफिस वगेरह जा रहे होते हैं |
तो मिलते हैं कल फूलों के समाधान के साथ .....

हनुमान मंदिर चलिया भाग 6 ......

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