आज सोमवार है ..... 4.11.13....
आज गोवर्धन पूजा है ...कुछ लोग इसे विश्वकर्मा दिवस भी कहते हैं ....
मंदिरों में यह अन्नकूट के रूप में भी मनाया जाता है ......
कल बहुत देर हो गई थी इसलिए आज भी सुबह सुबह ही मदिर चली गई थी ..... लगभग 6.45 हुए होंगे
मेट्रो स्टेशन पर भी ख़ास भीड़ नहीं है क्योंकि स्कूल ऑफिस इस समय बंद हैं कुछ प्राइवेट कंपनियों को छोड़ कर ..... आज सभी दुकानों पर भी पूजा होती है और ज्यादातर छुट्टी ही रहती है .....
मौसम में काफी बदलाव आ गया है अब सुबह सुबह सर्दी लगने लगी है ...
मेट्रो से बाहर निकलते ही इस बात का अहसास होता है ...
मंदिर पहुंचकर माथा टेकने के बाद परिक्रमा कर रही थी ...तभी देखा ....
सारे फूल वगेरह जो समाधि [ जैसा महंत जी ने कहा यहाँ फूल दिए वगेरह रखे जाते हैं जो प्रतिमाओं पर चढ़ाये जाते हैं] में रखे हुए थे आज बिलकुल साफ़ है यह एक खाली सीड़ी है .....
जब माथा टेक कर बाहर आई तो देखा वोह समाधि से हटाए गए फूल वगेरह बाहर एक ढेर के रूप में पड़े हैं क्योंकि अभी कोई उचित समाधान नहीं हुआ है .....
चप्पल पहन मैं मेट्रो स्टेशन की तरफ बढ़ गई .....
और आज जल्दी घर भी पहुच गई ...
कल मिलते हैं कुछ नए पहलुओं के साथ....
हनुमान मंदिर चलिया भाग 10.क्रमशः......
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