रविवार, 25 अगस्त 2013

मुल्तान ज्योत महोत्सव हरिद्वार

हरिद्वार यात्रा का वृतांत फिर कभी लिखती हूँ ,अभी एक ख़ास उत्सव पर रौशनी डालना चाहती हूँ,उससे पहले हरिद्वार का एक संक्षिप्त सा परिचय 
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हरिद्वार वह स्थान है जहाँ अमृत की कुछ बूँदें भूल से घडे से गिर गयीं जब खगोलीय पक्षी गरुड़ उस घडे को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे। चार स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं, और ये स्थान हैं:- उज्जैन, हरिद्वार, नासिक, और प्रयाग| 
वह स्थान जहाँ पर अमृत की बूंदें गिरी थी उसे हर-की-पौडी पर ब्रह्म कुंड माना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है 'ईश्वर के पवित्र पग'। हर-की-पौडी, हरिद्वार के सबसे पवित्र घाट माना जाता है और पूरे भारत से भक्तों और तीर्थयात्रियों के जत्थे त्योहारों या पवित्र दिवसों के अवसर पर स्नान करने के लिए यहाँ आते हैं। यहाँ स्नान करना मोक्ष प्राप्त करने के लिए आवश्यक माना जाता है।
हम सुबह 6.30 पर दिल्ली से चलकर दोपहर 1.30 बजे तक हरिद्वार पहुँचगए थे क्योंकि हर की पौड़ी की तरफ जाने वाले सारे रास्ते वाहनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं इसलिए भीमगोड़ा रोड पर ही हमने एक दिन के लिए एक होटल ले लिया था यहाँ जाकर हमने अल्प विश्राम किया और फिर सब चल पड़े हर की पौड़ी की तरफ गंगा में डुबकी लगाने |
हर की पौड़ी  :---
यह स्थान भारत के सबसे पवित्र घाटों में एक है। कहा जाता है कि यह घाट विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरि की याद में बनवाया था। इस घाट को 'ब्रह्मकुण्ड' के नाम से भी जाना जाता है। शाम के वक़्त यहाँ महाआरती आयोजित की जाती है। गंगा नदी में बहते असंख्य सुनहरे दीपों की आभा यहाँ बेहद आकर्षक लगती है। गंगा पूरे उफान पर थी और श्रद्धालुओं के हौंसले भी बुलंद थे , सब प्रवाह की परवाह किये बिना ,डुबकी लगा लेना चाहते थे| एक और बात जो सामने आई जब हर की पौड़ी की सफाई की जाती है तो सब कूड़ा पाइप लगाकर गंगा जी में बहा दिया जाता है जिसमें दूध की थैली ,फूलों वाली थैली आदि मुख्यता हैं ,जोकि रोका जाना चाहिए ताकि प्रदूषण को रोका जा सके |
हर की पौड़ी 


महिला घाट :---
हर की पौड़ी पर एक महिला घाट है ,हर की पौड़ी के नवनिर्माण के बाद इसका उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री राजीवगांधी द्वारा 2 अप्रैल, 1986 में कृष्ण अष्टमी वाले दिन बुद्धवार को किया था | जिसकी तरफ प्रबंधकों का ध्यान बिल्कुल भी नहीं है ,वैसे तो अन्दर जाकर कोई भी नहा नहीं सकता है वहां की तस्वीरें आप तक पहुंचाती हूँ |जैसा की वहां बोर्ड लगा है निशुल्क व्यवस्था है पर वास्तव में अन्दर घुसते ही वहां बैठी सेविकाएँ आपको अपने तरफ बुलाती हैं कि सामान उनके पास रखा जाए ताकि उनको जाती बार कुछ धनराशि दे दी जाए |


महिला घाट अन्दर से 

              वैसे तो हरिद्वार में पूरा वर्ष अनेकों धार्मिक उत्सव मनाये जाते हैं  और यहाँ पर काफी समय से जाना होता ही रहा है ,लेकिन आज जिस उत्सव का जिक्र करने जा रही हूँ वो है ''मुल्तान ज्योत महोत्सव '' जो देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इस बार की हरिद्वार यात्रा पर भी |
                               103वां मुल्तान ज्योत महोत्सव 
परिचय :-----
मुल्तान ज्योत महोत्सव:--     भारत में पुरी रथ यात्रा, कुंभ का मेला व हरिद्वार में कावंड़ के बाद हरिद्वार निवासी इस महोत्सव की विशेष प्रतीक्षा में रहते है। महोत्सव में भाग लेने वाले लाखों श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया जाता है।इस वर्ष 103वां मुल्तान ज्योत महोत्सव 11 अगस्त, 2013 रविवार को बड़ी धूम धाम से मनाया गया 
इतिहास :---
मुल्तान जोत महोत्सव का आयोजन वर्ष 1911 में भक्त रूपचंद द्वारा पाकिस्तान में बसे मुल्तान से पैदल चलकर समाज के भाईचारे व शांति की कामना को लेकर हरिद्वार में गंगा मैया को ज्योति अर्पित की थी परम्परानुसार प्रतिवर्ष बड़े पैमाने पर भव्य आयोजन मनाया जाता रहा है।
 महोत्सव :---
                  श्रावण मास की तेरस को प्रतिवर्ष 'अखिल भारतीय मुल्तान जोत संगठन की ओर से 'गंगा हरिद्वार में 'ज्योत महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। डा. महेन्द्र नागपाल इस संगठन के 'अध्यक्ष है। समस्त भारत ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं। अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन की ओर से समस्त अतिथियों के हरिद्वार में रहने व खाने-पीने की व्यवस्था नि:शुल्क की जाती है। तीन दिवसीय कार्यक्रम में सारे हरिद्वार को दुल्हन की तरह खूब सजाया जाता है, शहर में झांकियां निकाली जाती हैं। गंगा मैया का दूध से अभिषेक किया जाता है 'हर की पौड़ी पर अन्य कार्यक्रमों के साथ-साथ ज्योति प्रज्वलित व 'गंगा मैया की आरती की जाती है। सारे हरिद्वार की छटा बहुत ही मनोरम व अनूठी होती है।
             इस आयोजन में इस वर्ष जोत महोत्सव में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव वरूण गांधी, उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर आजाद सिंह, अध्यक्ष रामकिशन सिंघल, जगदीश मुखी, भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री सुश्री आरती मेहरा, वाणी त्रिपाठी, विजय शर्मा, प्रवेश वर्मा, पूर्व विधायक विजय जौली, महाभारत सीरियल के टीवी कलाकार प्रवीन कुमार, विनोद बजाज आदि ने भाग लिया |
             गंगा में हर की पौड़ी पर डुबकी लगाने के बाद हम वापिस होटल पहुँच गए वहां कुछ चाय नाश्ता लेकर हम चप्पलें खरीदने निकल पड़े क्योंकि यहाँ चप्पलें सस्ती के इलावा मजबूत भी मिलती हैं इसके बाद थोडा विश्राम करने लगे |तभी बैंड बाजे की आवाज आने से हम उठ कर बाहर आ गए क्योंकि झांकियां निकलनी शुरू हो चुकी थीं जो सूखी नदी से शुरू होकर हर की पौड़ी तक जाती हैं ,सभी राज्यों से अलग अलग समुदाय इस महोत्सव के लिए आते हैं जिसमें पानीपत और करनाल वालों की ज्योत देखने वाली होती है वे अपनी अपनी ज्योत जो तीन दिन तक अनवरत जलती है और फिर ज्योत को गंगा में अर्पित कर दिया जाता है यह सिलसिला रात 10..11  बजे तक चलता है कुछ झाँकियो की तस्वीरें आप तक पहुंचाती हूँ |



                रात्रि भोजन करने के बाद हम दोबारा हर की पौड़ी पर गए क्योंकि ज्योत प्रवाह होते देखने का मन था ,क्योंकि भीम गोडा रोड से आजकल बैटरी रिक्शा चल पड़े हैं इसलिए दस दस रुपये में आप सुविधा से आ जा सकते हैं |
करनाल वालों की ज्योत 

ज्योत सभी भिन्न भिन्न प्रकार की बनवाते है किसी की किश्तीनुमा ज्योत और किसी की बतख बनी होती है ,थर्मो कोल  की बनी ज्योत देखने में बहुत सुंदर लगती है ज्योत प्रवाह की एक विडियो नीचे दी गई है |
ज्योत प्रवाह की विडियो 

ज्योत प्रवाह के बाद हम वापिस होटल चले गए |सारे दिन की थकान के बाद सुकून से सो गए| सुबह उठते ही फिर एक बार हर की पौड़ी पर पहुँच गए स्नान करने के लिए ,जल्दी से डुबकी लगाकर और ज्योत प्रवाह कर बाहर आए |यहाँ पर सुबह से ही हवन शुरू हो जाता है यहाँ कोई भी किसी भी प्रकार की पूजा या अनुष्ठान वहां  बैठे पुरोहितों से करवा सकते हैं | इसके बाद कुछ वहीँ पर स्थित मंदिर देखे |
हर की पौड़ी पर हवन 

जूता घर की अव्यवस्था 
जूता घर :---
जूता घर जो हर की पौड़ी पर दोनों तरफ से आने पर मिलते हैं ,उसमें अगर भीड़ हो जाए तो कोई उचित प्रबंध मुझे नजर नहीं आया कम लोग भी धक्का मुक्की कर रहे थे | यहाँ से निवृत होकर हमने मोहन जी पूरी वाले से आलू पूरी का नाश्ता किया जो वहीँ पर ही गरम गरम खाने का अपना ही  एक आनंद है |हम फिर वापिस होटल आ गए क्योंकि आगे हमें मसूरी के लिए निकलना था |
मिलते हैं फिर एक और यात्रा वृतांत के साथ शुभविदा ....

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