सोने जैसा रूप है तेरा,
तुम पर जायूं मैं वारी
अब तो दर्श दिखाओ
ओ मेरे गिरिधारी|
सुन्दर छवि है तेरी
कजरारे हैं तेरे नैन
कब से राह निहारूं
तुम बिन मैं बेचैन|
गोकुल हुआ दीवाना
घर बार है सबका छूटा
इंसान हो तुम या देवा
यह भ्रम भी सबका टूटा|
नंदलाल कहूँ, कन्हैया कहूँ
कृष्ण कहूँ या कहूँ गिरिधारी
तुम ही करोगे पार यह नैया
सुनो गुज़ारिश बांकेबिहारी
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