आरती समय सारिणी :----
खाटू मंदिर में पाँच चरणों में आरती होती है-
मंगला आरती प्रात: 5 बजे,
धूप आरती प्रात: 7 बजे,
भोग आरती दोपहर:12.15 बजे,
संध्या आरती सायं : 7.30 बजे और
शयन आरती रात्रि : 10 बजे होती है।
गर्मियों के दिनों में हालाँकि इस समय थोड़ा बदलाव रहता है। कार्तिक शुक्ल एकादशी को श्यामजी के जन्मोत्सव के अवसर पर मंदिर के द्वार 24 घंटे खुले रहते हैं।
श्री खाटू श्याम जी की आरती :----
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे || ॐ
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे |
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े || ॐ
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे |
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले || ॐ
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे || ॐ
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे |
भक्त आरती गावे, जय - जयकार करे || ॐ
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम - श्याम उचरे || ॐ
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत भक्त - जन, मनवांछित फल पावे || ॐ
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे || ॐ
प्रचलित नाम :----
बर्बरीक के बाल बाल्यकाल में बब्बर शेर की तरह से होने से इनका नाम बर्बरीक रखा गया जिनको आज कई नामों से पुकारा जाता है |खाटू के श्याम, कलयुग के आवतार, श्याम सरकार, तीन बाणधारी, शीश के दानी, खाटू नरेश, हारे का सहारा व अन्य अनगिनत नामों से जानते व मानते हैं |
दर्शनीय स्थल :----
श्याम भक्तों के लिए खाटू धाम में श्याम बाग और श्याम कुंड प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। श्याम बाग में प्राकृतिक वातावरण की अनुभूति होती है। यहाँ परम भक्त आलूसिंह की समाधि भी बनाई गई है। श्याम कुंड के बारे में मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से श्रद्धालुओं के पाप धुल जाते हैं। पुरुषों और महिलाओं के स्नान के लिए यहाँ पृथक-पृथक कुंड बनाए गए हैं।
पुरुषों के लिए जो कुंड है उसका रख रखाव तो फिर भी ठीक से किया जा रहा है ,लेकिन महिलाओं के लिए जो कुंड हैं उसके अंदर बहुत गंद है वहां जाने की ही हिम्मत नहीं हुई उसके पानी पर काई जमी हुई है बदबूदार है |
श्री श्याम कुण्ड
ठहरने के स्थान :----
यहाँ पर बहुत सारी धर्मशालायें हैं जो कम पैसे में आधुनिक सुविधायें मुहैया करवाती हैं | कुछ होटल भी हैं यहाँ पर आप ठहर सकते हैं |अब काफी निर्माण जारी है |
उपलब्ध सामान:----
यहाँ की मोरपंखी ,चूड़ियाँ ,जुतियां प्रसिद्द हैं | खाने में कड़ी कचोरी ,दही कचोरी ,कैंची से काटकर समोसा जो दिया जाता है उसका स्वाद चखे बिना आप नहीं रह सकते |
प्रसाद :----
प्रसाद में यहाँ बूंदी के लड्डू, पेड़े,बेसन की बर्फी ,मिश्री,मेवे,चूरमा आदि चढ़ाया जाता है |
भिखारी :-----
भिखारिओं की समस्या यहाँ चरम सीमा पर है ,जो आपको गलिओं में कहीं पर भी मिल जाते हैं और आपका पीछा तब तक नहीं छोड़ते जब तक आप या तो गाड़ी में या धर्मशाला में ना घुस जाएँ ,इसे रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए |
जल्दी ही मिलते हैं सालासार बाला जी के सचित्र वर्णन के साथ ...
..............................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें