काफी दिन से मन में एक कसक सी थी कि चलिया [ यानि 40 दिन तक लगातार मंदिर जाना ]शुरू किया जाए ....
पर मौसम बदलने का इंतज़ार था ताकि रिक्शा का सफ़र पैदल तय किया जा सके | इसलिए अब मौसम के बदलते ही मैंने चलिया शुरू करने की सोची |
वैसे तो था कि सारे त्यौहार वगेरह ख़त्म हो जाएँ तभी चलिया शुरू किया जाए भैया दूज के बाद ...
पर तब तक कृष्ण पक्ष शुरू हो जायेगा यह सोच कर मैंने शुक्ल पक्ष में ही कार्तिक महीना शुभ जान मंदिर का चलिया शुरू कर दिया |
तो आइये चलते हैं मेरे साथ हनुमान मंदिर कनाट प्लेस ...
साथ में बात करेंगे कुछ उठ रहे मुद्दों पर .... हर रोज
पहला दिन:---
आज रविवार है ...27.10.2013... सुबह 5 बजे उठना हो ही जाता है तो मैंने अपने कुछ जरुरी घरेलू काम निपटाए और निकल पड़ी मंदिर के लिए
समय था 6.59 का...
वैसे तो आजकल बैटरी रिक्शा काफी चल रहे हैं पर मैंने पहले ही निश्चय किया था कि पैदल ही जाना है मेट्रो तक ....ताकि इसी बहाने कुछ चलना भी हो जाए,जिसके लिए इस व्यस्त जिंदगी में से समय ही नहीं निकाल पाते हैं |
ठीक 10 मिनट बाद मैं मेट्रो तक पहुँच गई थी क्योंकि रविवार था तो सड़क पर भी ज्यादा भीड़ नहीं थी |
मेट्रो का सफर तय कर पहुंची राजीव चौक ठीक 7.46 पर वहां से खडग सिंह मार्ग से बाहर निकल इंदिरा चौक पर पहुंची ,जो पालिका बाजार के बिलकुल साथ है यहाँ से दोनों तरफ से सबवे हैं ताकि व्यस्त सड़क पर से गुजरने में समय खराब न हो ...
परन्तु मैं अकेले और सुबह सुबह कभी भी इसे नहीं अपनाती क्योंकि एक तो यह सुनसान होता है और दूसरा वहां गन्दगी भी रहती है इसलिए कौन खतरा मोल ले ....
जैसे ही वहां पहुंची बिल्कुल गेट के बीचों बीच एक भिखारी कम्बल ओढे सो रहा था पास ही एक पिल्ला भाग कर आया और बैठ गया उसके पास जैसे वो फोटो खिंचवाने आया हो जो अभी आप तक पहुंचाती हूँ |
उसके बाद सड़क पार कर पहुंची मंदिर वहां इस समय तक सिर्फ एक ही जूते रखने वाला बैठा था उसके पास जूते उतार अंदर गई ....
उस दिन यहाँ होई व्रत के उपलक्ष्य में लंगर था जो एक बजे के बाद ही शुरू होता है |
माथा टेकने के बाद इसकी परिक्रमा में देखा यह फूलों का कूड़े में परवर्तित ढेर फूलों की यह दुर्दशा मन को नहीं भाई |
उसके बाद मैं बाहर निकल आई जूते पहन उसे कुछ पैसे दिए और मेट्रो की तरफ रवाना हुई और ठीक एक घंटे बाद घर पहुँच गई |
कल जानते हैं दूसरे दिन का हाल मेरे साथ ....
हनुमान मंदिर चलिया भाग 2.क्रमशः ....
पर मौसम बदलने का इंतज़ार था ताकि रिक्शा का सफ़र पैदल तय किया जा सके | इसलिए अब मौसम के बदलते ही मैंने चलिया शुरू करने की सोची |
वैसे तो था कि सारे त्यौहार वगेरह ख़त्म हो जाएँ तभी चलिया शुरू किया जाए भैया दूज के बाद ...
पर तब तक कृष्ण पक्ष शुरू हो जायेगा यह सोच कर मैंने शुक्ल पक्ष में ही कार्तिक महीना शुभ जान मंदिर का चलिया शुरू कर दिया |
तो आइये चलते हैं मेरे साथ हनुमान मंदिर कनाट प्लेस ...
साथ में बात करेंगे कुछ उठ रहे मुद्दों पर .... हर रोज
पहला दिन:---
आज की छवि हनुमान जी की
समय था 6.59 का...
वैसे तो आजकल बैटरी रिक्शा काफी चल रहे हैं पर मैंने पहले ही निश्चय किया था कि पैदल ही जाना है मेट्रो तक ....ताकि इसी बहाने कुछ चलना भी हो जाए,जिसके लिए इस व्यस्त जिंदगी में से समय ही नहीं निकाल पाते हैं |
ठीक 10 मिनट बाद मैं मेट्रो तक पहुँच गई थी क्योंकि रविवार था तो सड़क पर भी ज्यादा भीड़ नहीं थी |
मेट्रो का सफर तय कर पहुंची राजीव चौक ठीक 7.46 पर वहां से खडग सिंह मार्ग से बाहर निकल इंदिरा चौक पर पहुंची ,जो पालिका बाजार के बिलकुल साथ है यहाँ से दोनों तरफ से सबवे हैं ताकि व्यस्त सड़क पर से गुजरने में समय खराब न हो ...
परन्तु मैं अकेले और सुबह सुबह कभी भी इसे नहीं अपनाती क्योंकि एक तो यह सुनसान होता है और दूसरा वहां गन्दगी भी रहती है इसलिए कौन खतरा मोल ले ....
जैसे ही वहां पहुंची बिल्कुल गेट के बीचों बीच एक भिखारी कम्बल ओढे सो रहा था पास ही एक पिल्ला भाग कर आया और बैठ गया उसके पास जैसे वो फोटो खिंचवाने आया हो जो अभी आप तक पहुंचाती हूँ |
उसके बाद सड़क पार कर पहुंची मंदिर वहां इस समय तक सिर्फ एक ही जूते रखने वाला बैठा था उसके पास जूते उतार अंदर गई ....
उस दिन यहाँ होई व्रत के उपलक्ष्य में लंगर था जो एक बजे के बाद ही शुरू होता है |
माथा टेकने के बाद इसकी परिक्रमा में देखा यह फूलों का कूड़े में परवर्तित ढेर फूलों की यह दुर्दशा मन को नहीं भाई |
कल जानते हैं दूसरे दिन का हाल मेरे साथ ....
हनुमान मंदिर चलिया भाग 2.क्रमशः ....
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