प्रेम मंदिर से मीठी यादो के संग निकल कर दोबारा ट्रैवलर की तरफ बढे समय काफी हो चुका था इसलिए जल्दी से अब 'वैष्णोदेवी मंदिर' जाने का प्रोग्राम था ताकि समय से धर्मशाला में आकर रात्रि भोजन किया जा सके |
माँ वैष्णोदेवी आश्रम
मथुरा वृन्दावन रोड पर छटीकरा को मुड़ते ही माँ वैष्णो देवी आश्रम स्थित है कृष्ण की नगरी में ब्रज भूमि पर स्थित है यह मंदिर
मंदिर की स्थिति दिखाता नक्शा
माँ वैष्णोदेवी के संस्थापक जे सी चौधरी माता के प्रिय भक्त और परम आस्था वाले व्यक्ति हैं जिनके अनुसार माँ वैष्णो देवी अपने भक्तों को चार वरदान देती है : धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष |इनकी माँ में बहुत आस्था है क्योंकि वो ही उनकी प्रेरणास्त्रोत और सहायक हैं |इसलिए उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की जिसकी कल्पना माँ की एक भव्य मूर्ति के बिना अधूरी थी ,जमीनी स्तर से जिसकी ऊंचाई 141 फीट है| यह मंदिर 11 एकड़ में बना है इसमें देवी मंदिर ,दर्शन गुफा ,लंगर हॉल, निशुल्क डिस्पेंसरी ,आध्यात्मिक हॉल ,योग हॉल ,लाइब्रेरी आदि बनाये गए हैं |इसका निर्माण 22 मई 2010 में पूरा हुआ है |
हम सब ट्रैवलर में बैठ जल्दी ही वैष्णोदेवी मंदिर की तरफ बढ़ गए जूते गाड़ी में ही उतार दिए गए और पर्स कैमरा मोबाइल फ़ोन बैल्ट वगेरह सब कुछ गाड़ी में रख दिया गया क्योंकि वहां जमा कराने और वापिस लेने में काफी समय ख़राब हो जाता है | यहाँ पर 10 रुपये की प्रति आदमी टिकट लेकर हम अंदर प्रवेश किए यहाँ काफी सख्त चैकिंग की जाती है जुराबें तक उतरवा कर देखते हैं फिर भी हमारा एक शैतान बच्चा एक मोबाइल अंदर छुपा कर ले गया ताकि कुछ फोटो खींच सके |
सुंदर बगीचों से निकलते हुए माँ मंदिर की तरफ बढ़ते हैं माँ की मूर्ति , माँ के पास बैठे हनुमान की मूर्ति एक निश्चित अनुपात में गणना के साथ कुशल इंजीनियरों द्वारा बनाई गई है इसमें पांच वर्ष का समय लगा है |इसका नाम गिनिज बुक के लिए भेजा गया है |
माँ मंदिर :--
विशालकाए मूर्ति की तरफ बढ़ते हुए कुछ सीढियां उतर कर नीचे माँ मंदिर में जाते हैं यहाँ बाहर का दृश्य बहुत ही मनोहारी है मंद मंद रौशनी में फव्वारों से निकलता पानी जैसे शीतलता प्रदान कर देता है मंदिर परिसर में सामने ही एक चबूतरे पर माँ की धातु की मूर्ति सुसज्जित है और एक पुरोहित श्रद्धालुओं को तिलक लगाते हैं सामने दान पेटिका रखी है संगमरमर से बहुत ही करीने से बना हाल बहुत ही सुकून देता है इसकी परिक्रमा करते हुए सुंदर तस्वीरें देखते हुए हम बाहर निकल आये गुफा :---
मंदिर से बाहर निकलते ही इसके बाएँ तरफ फिर सीढियां चढ़ कर सुंदर रोशनिओं और बगीचों से सजे रास्ते से निकलते हुए एक खुले प्रांगन में पहुँच जाते हैं यहाँ सामने गुफा नजर आती है इसके बाई तरफ इन्क्वायरी काउंटर है और दाएँ तरफ तोता राम आहूजा लंगर हॉल है |
गुफा में पार्वती पुत्र गणेश, जगत पिता महेश और माँ के नौ रूपों की प्रतिमाएं लगी हैं जिनके सामने उनकी शोभा बढ़ाते बोर्ड लगे हैं ताकि नवागन्तुक इसे पहचान सकें कमाल की कारीगरी की गई है ,इसमें रौशनी कम ही रहती है जिसे देख कर कुछ ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी पञ्च सितारा होटल में आप कैंडल लाइट डिनर करने आये हों |गुफा के अंदर की तस्वीरें जो गूगल बाबा की कृपा से आप तक पहुंचा
रही हूँ ....
माँ की मूर्ति :---
यहाँ से कुछ सीढियां चढ़ कर हम पहुचे बाहर ठीक माँ की सौम्य विशालकाय मूर्ति के नीचे पास ही हनुमान जी की मूर्ति है |पहाड़ों के दोनों तरफ से झरने बह रहे हैं जिनकी कल कल करती अविरल धारा यमुना और गंगा की मुर्तिओं के पास आकर गिरती है |मूर्ति की परिक्रमा करते हुए हम नीचे पहुंचे वापिस उसी गुफा से हम बाहर आ गए |
विशालकाए मूर्ति की तरफ बढ़ते हुए कुछ सीढियां उतर कर नीचे माँ मंदिर में जाते हैं यहाँ बाहर का दृश्य बहुत ही मनोहारी है मंद मंद रौशनी में फव्वारों से निकलता पानी जैसे शीतलता प्रदान कर देता है मंदिर परिसर में सामने ही एक चबूतरे पर माँ की धातु की मूर्ति सुसज्जित है और एक पुरोहित श्रद्धालुओं को तिलक लगाते हैं सामने दान पेटिका रखी है संगमरमर से बहुत ही करीने से बना हाल बहुत ही सुकून देता है इसकी परिक्रमा करते हुए सुंदर तस्वीरें देखते हुए हम बाहर निकल आये गुफा :---
मंदिर से बाहर निकलते ही इसके बाएँ तरफ फिर सीढियां चढ़ कर सुंदर रोशनिओं और बगीचों से सजे रास्ते से निकलते हुए एक खुले प्रांगन में पहुँच जाते हैं यहाँ सामने गुफा नजर आती है इसके बाई तरफ इन्क्वायरी काउंटर है और दाएँ तरफ तोता राम आहूजा लंगर हॉल है |
गुफा में पार्वती पुत्र गणेश, जगत पिता महेश और माँ के नौ रूपों की प्रतिमाएं लगी हैं जिनके सामने उनकी शोभा बढ़ाते बोर्ड लगे हैं ताकि नवागन्तुक इसे पहचान सकें कमाल की कारीगरी की गई है ,इसमें रौशनी कम ही रहती है जिसे देख कर कुछ ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी पञ्च सितारा होटल में आप कैंडल लाइट डिनर करने आये हों |गुफा के अंदर की तस्वीरें जो गूगल बाबा की कृपा से आप तक पहुंचा
रही हूँ ....
गुफा के अंदर
माँ के नौ रूप गुफा के अंदर
यहाँ से कुछ सीढियां चढ़ कर हम पहुचे बाहर ठीक माँ की सौम्य विशालकाय मूर्ति के नीचे पास ही हनुमान जी की मूर्ति है |पहाड़ों के दोनों तरफ से झरने बह रहे हैं जिनकी कल कल करती अविरल धारा यमुना और गंगा की मुर्तिओं के पास आकर गिरती है |मूर्ति की परिक्रमा करते हुए हम नीचे पहुंचे वापिस उसी गुफा से हम बाहर आ गए |
यह मंदिर प्रेम मंदिर की ही तरह भव्य मंदिर है पर क्योंकि इसकी मैनेजिंग कमेटी ने भक्तों के लिए इतनी अडचने डाल रखी हैं इसलिए इसका प्रचार प्रसार बहुत कम लोगों तक सीमित है | यहाँ नीचे इसकी विडियो आप देख सकते हैं, जिससे इसकी भव्यता का अंदाजा आप लगा सकते हैं
विडियो...
समय की कमी के रहते और थोड़ी सख्ती के कारण हम यह भव्य मंदिर अच्छे से नहीं देख पाए फिर भी बहुत अच्छा रहा | इस मंदिर से बाहर निकलते ही हम ट्रैवलर में बैठे और श्री कृष्ण सुधामा धाम पहुँच गए यहाँ भोजन हमारा इंतज़ार कर रहा था |यहाँ पहले से थाली बुक करानी पड़ती है जिसकी कीमत 80 रुपए है इसमें अगर आप भोजनालय में जाकर खाते है तो इसका एक अलग आनंद है आपको चौकी के ऊपर थाली में गर्म गर्म खाना परोसा जाता है जितना आप खा सके |आप अगर कमरे में लेकर जाते हैं तो सीमित ही खाना मिलता है |अगर आपके साथ बच्चे हैं तो उनको शायद यह खाना पसंद नहीं आए इसलिए वहां कैंटीन में मैग्गी बनाकर दे देते हैं आपकी इच्छा अनुसार |
यहाँ धर्मशाला के एक कमरे का किराया 600 रुपए है जिसमें स्नानघर टीवी गीजर की सुविधा उपलब्ध है |भोजन करने के बाद हम सब टीवी पर कार्यक्रम देखते हुए सो गए |
सुबह जल्दी उठने की आदत के कारण मैं जल्दी ही उठकर बालकोनी में पहुँच गई यहाँ से प्रेम मंदिर की रंग बदलती कुछ तस्वीरें ली जिनके बदलते रंग आपको मोह लेते है |फिर सब तैयार होकर धर्मशाला में ही कुछ तस्वीरें लेने लग गए और हम आगरा के लिए निकल गए | यहाँ तक की कुछ तस्वीरें ...
जब भी वृन्दावन जाएँ प्रेम मंदिर और माँ वैष्णो देवी मंदिर के लिए समय अवश्य निकालें यहाँ के फव्वारे और हरियाली अनायास ही आपका मन मोह लेते हैं |
क्रमशः भाग 5.....
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