मंगलवार, 14 मई 2013

वैष्णो देवी यात्रा भाग 4.

तीसरा दिन 
भवन से भैरों घाटी :---
                     सुबह 4.30 बजे सब उठना शुरू होकर तैयार होने लगे थे ,लगभग 6.10 पर हम भैरों बाबा के लिए निकल पड़े ,कुछ मेंबर्स को यहाँ से हेलिपैड तक का घोडा करके दिया 400 रुपए में बाकि सब पैदल ही चल पड़े, आगे चलकर हमने सीढ़ियों का रास्ता अपनाया लगभग 1200 सीढ़ी चढ़ कर हम भैरों घाटी लगभग 7 बजे पहुँच गए थे पर अभी मंदिर 8 बजे खुलना था तो वही कुछ चाय नाश्ता लेकर इंतज़ार करने लगे, लम्बी  पंक्ति में जाकर बारी बारी दर्शन किए ताकि जूते जमा कराने और वापिस लेने में समय बर्बाद न हो |
               भैरों बाबा [भैरव ने मरते समय क्षमा याचना की. देवी जानती थीं कि उन पर हमला करने के पीछे भैरव की प्रमुख मंशा मोक्ष प्राप्त करने की थी.उन्होंने न केवल भैरव को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति प्रदान की, बल्कि उसे वरदान भी दिया कि भक्त द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कि तीर्थ-यात्रा संपन्न हो चुकी है, यह आवश्यक होगा कि वह देवी मां के दर्शन के बाद, पवित्र गुफ़ा के पास भैरव नाथ के मंदिर के भी दर्शन करें.]के दर्शन के बाद हम सब जल्दी से हेलिपैड की तरफ बढ़ गए ,उतरने में डंडे की अहम् भूमिका रहती है ,लुढ़कने का खतरा कम हो जाता है| 

भैरों घाटी से सांझी छत एवं हेलिपैड :---
       हमें 9.30 बजे रिपोर्ट करना था हम सब बारी बारी 9.45 तक हेलिपैड तक पहुँच गए,जिसका रास्ता सांझी छत्त से होते हुए जाता है |हमने सोचा था हेलीकाप्टर से हमारा समय बचेगा क्योंकि 3 घंटे का सफ़र सिर्फ 3 मिनट में ही पूरा हो जाता है ,पर उसकी पूरी प्रतिक्रिया में पूरे 2 घंटे लग गए ,पहले सबका भार तोला गया उसके बाद काफी इंतज़ार के बाद बोर्डिंग पास बनाया गया ,जो मिलने के बाद हमने  चेकिंग चैनल से निकलने के बाद काफी देर इंतज़ार किया हमारा नंबर आने तक |

हेलीकाप्टर सेवा :---
यहाँ से दो हेलीकाप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं ,पवन हंस और ग्लोबल ग्लैडिएटर ,जो बारी बारी से उडान लेती हैं ,इसमें 5 या 6 यात्रिओं को बिठाया जाता है , भार के अनुसार दो आगे चार पीछे | यहाँ तस्वीरें लेना वर्जित है | इसमें बैठाने से पहले उनके कर्मचारी आपको कुछ निर्देश देते हैं : पायलट के साथ बात चीत नहीं करनी है दुप्पट्टा वगेरह में गाँठ लगवा दी जाती है,आपका सामान ले लिया जाता है ,वोह पीछे के हिस्से में रख दिया जाता है,कर्मचारी ही आपको उसमें बैठाते हैं सीट बेल्ट लगाते हैं | मनमोहक दृश्यों का आनंद लेते हुए बहुत ही सुविधापूर्वक आप 3 मिनट में नीचे पहुँच जाते हैं , यहाँ फिर पहले से मौजूद कर्मचारी आपको बाहर का रास्ता दिखाते हैं | उतरने के बाद वहां से ऑटो उपलब्ध हैं जो 40 रुपए एक यात्री के लेते हैं कटरा तक पहुंचाने में |
कटरा से जम्मू :---
               वहां इंतज़ार करते करते भूख लग चुकी थी इसलिए हम सीधा ज्वेल रेस्टोरेंट के सामने ही उतरे और जाकर पेट पूजा की | वहीं पर हमने ट्रैवलर वाले ड्राईवर को फ़ोन कर दिया जो वहां पहुँच गया ,कुछ लोग होटल से सामान लेने चले गए और वहां से ही हम जम्मू के लिए चल दिए | हम 1.30 घंटे में जम्मू पहुँच गए ,गर्मी काफी बढ़ चुकी थी इसलिए सब का मन घबरा रहा था | इसलिए स्टेशन के बाहर ही कुछ शीतल पेय लेने लगे ,वहीँ से प्रसाद वगेरह भी ले लिया गया | गाड़ी चलने में अभी काफी समय था इसलिए हमने इंतज़ार किया वहीं स्टेशन पर ही क्योंकि हमारी कुछ टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी जो हम नेट से समय समय पर चेक कर रहे थे, ठीक समय पर सब टिकट हमारी कन्फर्म हो चुकी थी |
जम्मू से दिल्ली :---
               स्टेशन के बाहर से हमने खाना रात के लिए पैक करवा लिया था ,वैसे ज्वेल रेस्टोरेंट वाले भी दो घंटे पहले बताने पर खाना पैक करवा कर भिजवा देते हैं स्टेशन पर ही | गाड़ी का समय हो चूका था ठीक समय पर गाड़ी आ गई थी ,हम सब सामान लेकर अंदर प्रवेश कर चुके थे वापिस घर लौटने के लिए बहुत सारी खट्टी मीठी यादें लिए |

कुछ विशेष ध्यान देने योग्य बातें :--- 
1.अगर आपका फ़ोन प्रीपेड है तो जम्मू में प्रवेश करते ही बंद हो जाएगा ,तो कोई पोस्ट पेड नंबर लेकर जाएं या सरकारी कंपनी का फ़ोन भी चलेगा |
2.यात्रा जूते पहन कर ही करें नंगे पैर या चप्पल से नहीं |
3. डंडा लेकर चलें ,उससे यात्रा में काफी सुविधा रहती है |
4.अपने साथ जरुरी दवाई वगैरह लेकर चलें |
5.चढाई के वक्त कम सामान लेकर चलें 
6.पर्सनल जुगाड़ डॉट कॉम से टिकट बुक करवाने में बहुत सुविधा रही ,आप भी इनकी सेवाएं निसंकोच ले सकते हैं |
7.भवन पर रुकने का मूड हो तो पहले से कटरा से ही कमरा बुक करने की सुविधा है |
8.समय बचाने के लिए हेलीकाप्टर सुविधा का लाभ नहीं उठाएं सिर्फ आनंद के लिए ऐसा कर सकते हैं क्योंकि बोर्डिंग से पहले बहुत समय नष्ट होता है |
9.चढाई में हेलीकाप्टर सेवा का आनंद लेकर काफी थकान बचा सकते हैं और समय भी ,इसका किराया अब 800 रुपए है |
10.भोजन श्राइन बोर्ड के भोजनालय में ही करें ,ताकि बाहर का बासी भोजन खाकर असुविधा ना हो|
11.मार्च से जुलाई एवं सितम्बर से नवम्बर तक का समय अति उत्तम है यात्रा के लिए,वैसे तो श्रद्धालु पूरा वर्ष यात्रा के लिए जाते हैं |
12.यात्रा विमान से ,रेल से या बस से सुविधानुसार कर सकते हैं |
यहाँ तक की कुछ तस्वीरें .....








मिलते हैं दोस्तो एक और यात्रा के साथ जल्दी ही 
शुभविदा ....

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