सिंगापुर में चांगी हवाईअड्डा एक आधुनिक हवाई अड्डा है इसे देखकर आप उसकी तारीफ़ किये बिना नहीं रह सकते ,बहुत से भारतीय रेसतरा भी यहाँ मौजूद हैं जिसे देखते ही अपनापन सा अनुभव होता है ....
इमीग्रेशन यानि अप्रवास :--यहाँ हमें फिर से इमीग्रेशन फॉर्म भरना था इसलिए हम काउंटर की ओर बढ़ गए वहां अलग अलग भाषा में फॉर्म रखे थे हमने अंग्रेजी भाषा वाला फॉर्म लिया और उसको सारा भर दिया यहाँ पर हमारा पता वो लिखा जाना था यहाँ हम रुकने वाले थे और कितने दिन .... एक सबसे बढ़िया बात यहाँ पर आपको भाषा की बिलकुल भी असुविधा नहीं होती है क्योंकि सभी अंग्रेजी समझते हैं और बोलते हैं.. फॉर्म भरने के बाद ...पहले की ही भांति बहुत सारे प्रवेश द्वार और काउंटर थे यहाँ हम भी कतार में खड़े हो गए ,हमारी बारी के इंतज़ार में .. अपनी बारी आने पर वो फॉर्म और पासपोर्ट उनको दिया गया जिस पर फिर से एक स्टेम्प लगा दी गई .. हम दो लोग निकल गए थे ,हमारे एक साथी को थोड़ी पूछताछ के लिए रोक लिया गया ..चिंता की कोई बात नहीं थी हमारे पास सारे डाक्यूमेंट्स थे ,डॉलर बदलवाने का बिल भी .. इस वजह से हमें थोड़ी देर जरूर हो गई थी ...इसलिए भारत से बार बार फ़ोन आ रहे थे .....
अगर आप 20,000 से ज्यादा डॉलर लेकर जा रहे हैं तो उसकी सूचना एयरपोर्ट पर देनी पड़ती है और आपके पास उसका बिल भी होना चाहिए ...
अब यहाँ भी पप्पू पास हो चुके थे ... अब बारी थी लगेज लेने की ..हम अपनी लगेज बेल्ट के पास पहुँचे तो सामान पहले से ही बेल्ट के पास नीचे रखा था ..हमने ट्राली ली और उसे लेकर हम बाहर निकल आये .. वहां द्वार पर जो भी अधिकारी ड्यूटी पर थे वो सबके लिये टैक्सी बुला रहे थे .. यहाँ टैक्सी सेवा बड़ी तवरित गति से आ जा रही थीं .. हमें भी इशारा किया टैक्सी की तरफ हम उसमें बैठ गए और उसे बताया हमें लिटिल इंडिया जाना है .. एक बहुत ही अच्छी बात सभी मीटर से चलते हैं कोई सौदेबाजी नहीं ...जैसे जैसे हम बढ़ते जा रहे थे सिंगापुर की गगनचुम्बी दमकती इमारतें , रात की रोशनियों से जगमग कुदरती नज़ारे एक अलग ही छटा बिखेर रहे थे ... अगर कहें कि तारे जमीं पर उतर आये थे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ... लगभग आधे घंटे में हम होटल पहुँच चुके थे जोकि पहले से ही बुक था .. ..
काउंटर पर हमने बताया बुकिंग किस नाम से है और हमें कमरा नंबर दे दिया गया ... . हम सब कमरे में गए थोड़ा आराम किया ... होटल में वाई फाई था इसलिए सबसे पहले हमने अपने पहुँचने की भारत सूचना दी ... और फिर बाहर निकल गए रात्रि भोजन के लिए और एक सिंगापुर की सिम लेने के लिए ... ताकि जब हम बाहर हों तो आराम से हम अपनों संग अपने अनुभव बाँट सकें... 15 डॉलर की हमें सिम मिल गई थी हमारी जरुरत अनुसार ...
यहाँ घूमते हुए हमें लग रहा था हम दिल्ली की ही सड़कों पर घूम रहे हैं बिलकुल वैसी ही संकरी गलियां नजर आ रही थी,वैसे ही सामान दुकानों से बाहर तक निकला हुआ था,वैसी ही महक और वैसे ही लोग जैसा कि नाम से ही जाहिर था हम लिटिल इंडिया में घूम रहे थे ... सिर्फ सफाई यहाँ बहुत थी और सब सुचारू रूप से चल रहा था ...
उसके बाद तलाश शुरू हुई शाकाहारी खाने की जो हमें कहीं भी आस पास ढंग का नहीं मिला .. दाल रोटी से काम चलाया लेकिन कैसी थी यह मत पूछो .. माँसाहारी खाना हर जगह उपलब्ध है .. अच्छे खाने की तलाश अगले दिन पर छोड़कर हम होटल लौट आये .....
सुबह से थकान तो थी ही जल्दी ही हम नींद की आगोश में थे ... .. ..
अगले दिन सुबह जैसे ही शौचालय जाना हुआ तो जान पड़ा कि आधुनिक सब सुविधा तो है लेकिन ना तो सीट में जेट है ना ही मग चौकी और बाल्टी ,सिर्फ टिश्यू और शावर से काम चलाना है ... .. आइये सबसे पहले जानें यहाँ हम रह रहे थे ...
लिटिल इंडिया :--
इसे छोटा भारत कहें तो कोई गलत नहीं होगा इस बाजार में भारतियों की संख्या सबसे अधिक है ,यहाँ हर तरह के पकवान उपलब्ध हैं ,भारतीय पोशाकें ,भारतीय खाना और मिठाइयाँ ,भारतीय रेस्तरा वगेरह ,छोटी छोटी दुकानें ,संकरी सड़कें... इसी में एक आधुनिक माल भी है मुस्तुफा माल .....
टैक्सी ने जैसे ही हमें सेंटोसा के बाहर उतारा ऐसे लगा हम एक अलग ही सपनों की दुनिया में आ गए हैं ... निसंदेह सिंगापुर में ज्यादा जगह रात को घूमने की हैं जब यहाँ रोशनियाँ बरसती हैं तो आपका मन ख़ुशी से हिलोरे लेने लगता है ,यहाँ रात नहीं होती जी क्योंकि रोशनियाँ अँधेरे को ढक लेती हैं ....
सेंटोसा द्वीप :--
सिंगापुर का पर्याय है सेंटोसा द्वीप जोकि एक प्रमुख पर्यटक केंद्र और मुख्य आकर्षण है सिंगापुर का ... यहाँ पहुँचने के लिए आप बस,केबल कार ,MRT [मास रैपिड ट्रांजिट ]यानि यहाँ की मेट्रो और निसंदेह टैक्सी का प्रयोग तो कर ही सकते हैं .... यहाँ पर इतना कुछ है देखने को और अनुभव करने को कि आपको दो दिन भी इसे पूरा देखने के लिए कम ही लगेंगे ... इसके मुख्य आकर्षण अग्रलिखित है ...
फिर हम पहुँचे वाटरफ्रंट स्टेशन के पास ..यहाँ से मोनोरेल चलती है तीन स्टेशन में यह कड़ी का काम करती है ,हर स्टेशन पर उतरकर आप बटरफ्लाई पार्क ,टाइगर टावर,केबल कार, मर्लियोन टावर,एडवेंचर कोव,सिलोसो बीच, इम्बिया बीच यहाँ पर विंग्स ऑफ़ टाइम के नाम से मशहूर शानदार लेजर शो होता है ,अगर यह आपने नहीं देखा तो आपने कुछ नही देखा ... आई फ्लाई है जिसमे आप उड़ सकते हैं और भी बहुत कुछ देखने को है उसके पैकेज आप मनमर्जी से ले सकते हैं ....
दुनिया का सबसे बड़ा अंडरवाटर वर्ल्ड एक्वेरियम ,जिसमे पानी में एक लम्बी सुरंग में आप घूमते है और ग्लास के बाहर सभी समुद्री जानवर यानि एक तरफ पानी के नीचे की दुनिया में आप स्वयं को समुद्र में महसूस करते हैं तो दूसरी तरफ पानी के ऊपर की दुनिया में डोल्फिन के साथ समय बिताकर आप रोमांचित हो जाते हैं ,रिसॉर्ट्स वर्ल्ड [सबसे मंहगा कैसिनो],सेंटोसा सिनेब्लास्ट ,फ्लाइंग ट्रैपीज,गो ग्रीन साइकिल ,वेव हाउस सेंटोजा यहाँ नए लोगों को लहरों के दांवपेच सिखाये जाते हैं और भी बहुत कुछ ...
लेजर शो देखने के बाद हम मैकडोनाल्ड चले गए वहां शाकाहारी में सिर्फ फ्रेंच फ्राइज थीं .. सुबह से काफी थक गए थे 10 बज चुके थे ..इसलिए हमने वापिस आने का फैसला किया ..वही से हमने टैक्सी ले ली थी .. लेकिन वापिस पहुँचकर हम होटल चले गए तो वापिस खाना खाने के लिए जाने का मन नही किया ,जो कुछ साथ लाये थे वही खाया और सो गए ...
क्रमशः भाग 3....
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