पुनि पुनि जन्म मरण
से मैं छुटकारा पाऊँ
जिंदगानी अपनी
तेरी शरण लगाऊँ

ना फिर मैं आऊँ
पुनि पुनि जन्म मरण
से मैं छुटकारा पाऊँ
माया जाल में पुनः
ना अब खो जाऊँ
भवसागर से हे हरी
अब यूँ तर जाऊँ
पुनि पुनि जन्म मरण
से मैं छुटकारा पाऊँ
शरणागत को हे प्रभु
अपनी शरण लगाओ
नैया मेरी अब तो
प्रभु पार लगाओ
पुनि पुनि जन्म मरण
से मैं छुटकारा पाऊँ
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