मैया के दर्शन में बर्फ का नज़ारा,
मैया है जीती और इंसान हारा!
बेबस जो ना पा सके तेरा द्वारा,
हमने तो पाया है दर्शन तुम्हारा!
पुरानी गुफा में सुना ,है वास तेरा,
करती तू पार अपने भक्तों का बेड़ा!
कितने बरस में है तुमने बुलाया,
हमने दिल का हाल तुमको सुनाया!
अगले बरस हम सबको जल्दी बुलाना,
अच्छा नहीं यूँ अपने भक्तों को भुलाना!
मुरादें जो सबकी है यूँ ही पूरी करना,
संकट हो जब कोई तू ही इसे हरना!
अपने सब बच्चों को आशीर्वाद देना,
दिया जो सबको वो वापिस ना लेना!!
'..जय माँ वैष्णो देवी..''
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
कभी गाँव में बर्फ में खेलना हमें बहुत भाता था ...जब से शहरी हुए बमुश्किल बर्फ देखने को मिली ...वैसे तब बहुत कठिन दिन थे वे .....
सही कहा आपने कविता जी गाँव तो कहीं दूर बिछूड़ गये हैं शहरों से
हटाएं.सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें फहराऊं बुलंदी पे ये ख्वाहिश नहीं रही . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शालिनी जी स्नेह बनाए रखें
हटाएंबहुत ही सुंदर भक्तिमय प्रार्थना , मां को नमन ........
जवाब देंहटाएं(कृपया वर्ड वरिफिकेसन हटा दीजिये )
aabhar sunil ji
हटाएंतुम भक्तों के रखबाले हो दुःख दर्द मिटने बाले हो
जवाब देंहटाएंतेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों में
http://madan-saxena.blogspot.in/
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shukriya madan ji
हटाएंसजा हुआ सबके लिए, माता का दरबार।
जवाब देंहटाएंमाता अपने भक्त को, देती है उपहार।।
बहुत सुंदर भावों के साथ आपने माता की आराधना की है..........जय माता दी
जवाब देंहटाएंमाँ तो माँ ही होती है वह कहां किसी को भुलाती होगी, हम ही भुला देते हैं शायद उसे !!!
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