सोमवार, 13 मई 2013

वैष्णो देवी यात्रा भाग 3.

दूसरा दिन 

मैया के दर्शन :----

             सब जब नहाकर तैयार हो गए तो दर्शन के लिए दरबार की तरफ कूच किया, क्योंकि रात 6 बजे से 8 बजे तक आरती का समय रहता है तो भीड़ काफी हो जाती है ,इसलिए हमने 9 बजे के बाद का समय चुना दर्शन के लिए | सबने अपनी अपनी भेंट ली और पंक्ति में लग गए जोकि जल्दी ही पहुँच गई दरबार तक | ऐसा सुनने में आया कि  आरती जोकि लाइव दिखाई जाती है श्रद्धा चैनल पर उसमें अपने आप को टीवी में दिखाने के लिए एक हजार की एक मेंबर की पर्ची कटती है जिसकी पहले से ही बुकिंग होती है,जबकि कुछ वर्ष पहले मेरा बेटा सुबह की आरती में निशुल्क बैठा था  |
          जब दर्शन के लिए जा रहे थे तो हेलीकाप्टर बुकिंग काउंटर खुला देखकर उत्सुकता हुई इसलिए पूछने चल दिए ग्लोबल हेलीकाप्टर सेवा से पता चला कि कल के लिए सभी 13 मेंबर्स के लिए टिकट उपलब्ध है सुबह 9.30 बजे की, तो हमने बुक करवा ली और फिर ख़ुशी ख़ुशी दरबार की तरफ बढ़ गए |

पवित्र गुफा की मान्यता :---
इस बीच पंडित श्रीधर अधीर हो गए. वे त्रिकुटा पर्वत की ओर उसी रास्ते आगे बढ़े, जो उन्होंने सपने में देखा था.अंततः वे गुफ़ा के द्वार पर पहुंचे
| उन्होंने कई विधियों से 'पिंडों' की पूजा को अपनी दिनचर्या बना लिया| देवी उनकी पूजा से प्रसन्न हुईं |वे उनके सामने प्रकट हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया| तब से, श्रीधर और उनके वंशज देवी मां वैष्णो देवी की पूजा करते आ रहे हैं| दरबार में पवित्र गुफ़ा के द्वार पर देवी मां प्रकट हुईं| देवी ने ऐसी शक्ति के साथ भैरव का सिर धड़ से अलग किया कि उसकी खोपड़ी पवित्र गुफ़ा से 2.5 कि.मी. की दूरी पर भैरव घाटी नामक स्थान पर जा गिरी|

पिंडी दर्शन :---
दरबार में पहुँचने से पहले यात्रा पर्ची दिखाई जाती है ,जिसे ले जाना ना भूलें ,फिर अलग अलग पंक्ति में महिला और पुरुष श्रद्धालुओं की चेकिंग की जाती है इसलिए कैमरा,मोबाइल चमड़े का सब सामान पर्स बेल्ट वगैरह और जूते हम कमरे में ही छोड़ कर गए थे | वैसे मनोकामना भवन में आपको लाकर सुविधा उपलब्ध है जिसमें आप अपना सामान रख कर जा सकते हैं ,ताला अपना लगाना पड़ता है जो बाद में आपको वापिस मिल जाता है | दरबार के बाहर ही सामान घर की सुविधा भी उपलब्ध है | 
                  चेकिंग के बाद आप से नारियल ले लिया जाता है और एक टोकन दिया जाता है ,जिसे दिखाकर आप दर्शन के बाद अपना नारियल वापिस ले सकते हैं |जयकारे लगाते हुए सब दरबार में पहुँच गए पुराणी गुफा बंद थी जबकि दो और गुफा खुली थी ताकि श्रद्धालु आराम से दर्शन कर सकें,सब खुले दर्शन कर बहुत आनादित हो लौटे ,वापिसी में अपना अपना नारियल और हर श्रद्धालु को प्रसाद स्वरुप मिश्री का पैकेट मिलता है जिसके अंदर खजाना पहले से पैक होता है |
            बाहर आकर हमने सबने  रात्रि भोजन किया श्राइन बोर्ड के भोजनालय से क्योंकि 11 बज चुके थे, देर हो चुकी थी इसलिए दाल चावल,कड़ी चावल ,राजमां चावल से ही काम चलाना पड़ा ,थाली की सुविधा समाप्त हो चुकी थी ,दूसरे बहुत से ढाबे आपको भोजन के लिए मिल जाएँगे परन्तु उनकी सफाई और ताजे भोजन की कोई गारंटी नहीं है इसलिए पेट का ख्याल करते हुए श्राइन बोर्ड की सुविधा का ही लाभ उठाएं| रात्रि भोजन के बाद हम कमरे में जाकर सो गए क्योंकि सुबह जल्दी उठकर भैरों बाबा के दर्शन की अभिलाषा थी जोकि हमें जल्दी पूरी करनी पड़ी क्योंकि हमें हेलीकाप्टर सेवा का आनंद उठाना था |
यहाँ तक की तस्वीरें कुछ गुगूल से साभार ....





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