सोमवार, 25 अगस्त 2014

शिमला यात्रा वृतांत भाग 1.


दोस्तों वैसे तो आपने बहुत यात्रा वृतांत पढ़े होंगे लेकिन उनका लाभ कभी नहीं उठाया होगा क्योंकि उसे पढने के बाद एक आम कहानी की तरह पढ़ कर उसे भूल जाते हैं लेकिन मैं अपने यात्रा वृतांत में कोशिश करती हूँ उसमें आई समस्याओं का ,उसमें मिले आनंद का सीधा सीधा अनुभव आप सबसे बाँटने का | 
दिल्ली में गर्मी का मौसम भी सर्दी की तरह ही अपने पूरे शबाब पर होता है फिर साथ में स्कूल की छुट्टियाँ तो भला कौन नहीं जाना चाहेगा अपने मनपसंद पर्वतीय स्थल की यात्रा पर ,वैसे तो दिल्ली वाले सबसे नजदीक मंसूरी में एक दो छुट्टी मिलते ही पहुँच जाते हैं | लेकिन अब गर्मी से थोड़ी राहत पाने के लिए हमने फैसला किया शिमला जाने का | कालका शताब्धि की 8 टिकटे पहले से ही बुक करवा ली गईं थीं |
शिमला 
 शिमला, हिमाचल प्रदेश प्रान्त की राजधानी है। शिमला की खोज अंग्रेजों ने सन 1819 में की।1864 में, शिमला को भारत में ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था। एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल, शिमला को अक्सर ' पहाड़ों की रानी ' के रूप में जाना जाता है। शिमला हिमाचल प्रदेश प्रान्त की राजधानी है| शिमला एक पर्यटक स्थल के रूप में भी मशहूर है।शिमला ठंडी जलवायु, सुरम्य प्राकृतिक दृश्यों, हिमाच्छादित पहाड़ी दृश्यों, चीड़ और देवदार के जंगलों और औपनिवेशिक वास्तु के आकर्षक शहरी भूदृश्य के लिये विख्यात है। यहां का नाम देवी श्‍यामला के नाम पर रखा गया है जो काली का अवतार है। शिमला लगभग 7267 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह अर्ध चक्र आकार में बसा हुआ है |



आखिर वो दिन आ ही गया जिसका बेसब्री से इंतज़ार था यानी शिमला जाने का | तैयारी तो तभी शुरू हो गई थी जब टिकटे बुक हुईं थी और जाने से एक दिन पहले देर रात तक चल ही रही थी ,क्योंकि हमेंने 1 जुलाई को सुबह 7.40 की ट्रेन पकड़नी थीं और घर से स्टेशन पहुँचने में लगभग 45 मिनट लग जाते हैं इसलिए सुबह 4.30 बजे ही उठकर तैयार होने लगे थे क्योंकि कोई नाश्ता खाना वगेरह नहीं ले जाना था साथ में ,कुछ सूखा खाने का सामान लिया साथ में ,5.40 बजे हम तीन लोग घर से निकल चुके थे और 6 बजे हम सब मेट्रो में थे | 6.40 पर हम नई दिल्ली स्टेशन पर थे |

          मेट्रो से उतरकर नई दिल्ली स्टेशन तक पहुँचने में 10 से 15 मिनट लग जाते हैं क्योंकि मेट्रो की बहुत सारी सीढियां चढ़ कर ही आप बाहर निकल सकते हैं | यहाँ से अगर आप सामान नहीं उठा सकते तो आपको कुली मिल जाते हैं क्योंकि आगे प्लेटफोर्म तक पहुँचने के लिए भी आपको काफी जदोजहद करनी पड़ती है इस का सबसे बड़ा कारण है यहाँ स्वचालित सीढियां होते हुए भी उनको बंद रखा जाता है ताकि कुली लोगों की आपको जरुरत रहे | ऐसी मानसिकता के कारण ही एक मेट्रो सिटी होते हुए भी नई दिल्ली स्टेशन पर आने वाले सभी यात्री एक गलत सन्देश लेकर जाते हैं |
         तो जनाब हम पहुँच गए प्लेटफ़ॉर्म पर लेकर सब सामान ठीक 7 बजे और इंतजार करने लगे बाकी 5 सदस्यों का जिनको पास ही से आना था और 10 मिनट में वो लोग भी पहुँच चुके थे | 7.30 पर गाड़ी आ चुकी थी हम सब आराम से उसमें बैठ गए थे और 7.40 पर गाड़ी चल पड़ी थी अपने गंतव्य की ओर ....


गाड़ी चलने के कुछ मिनट बाद ही उसमें अनाउंसमेंट हुई .... यह गाड़ी कालका शताब्दि दिल्ली से कालका जा रही है हम 267 किलोमीटर की यात्रा 4 घंटे 15 मिनट में पूरी करेंगे | आपकी यात्रा शुभ हो | मेट्रो की ही तरह उसमें भी हर स्टेशन से पहले अनाउंसमेंट हो रही थी | 8.10 पर चाय बिस्कुट दिए गए केतली में गर्म पानी और साथ में चाय बनाने का अंग्रेजी सामान जिसमें एक दूध का पाउच,एक चीनी का और एक चाय का ,अगर दोबारा इच्छा हो चाय पीने की तो यह सब सामान आप दोबारा ले सकते हैं | 
8.55 पर गाड़ी पानीपत जंक्शन पर रुकी और उसके बाद 9.30 बजे नाश्ता बाँट दिया गया जिसमें था ब्रेड मक्खन ,कुछ कटलेटस और दोबारा वही गर्म पानी की केतली और साथ में अब की बार चाय के साथ कॉफ़ी के भी पाउच थे जो मन चाहे ले सकते हैं | मेरे जैसे चाय कॉफ़ी ना पीने वाले लोग गर्म पानी में दूध और चीनी डाल कर ले सकते हैं |
9.40 पर कुरुक्षेत्र जंक्शन पहुँच गए | इसके बाद भोजन बांटने वाले एक पेपर ले कर आ गए जिस पर लिखना था कि खाना कैसा लगा और टिप भी मांगी जा रही थी आपको सर्व करने की | 
फिर 10.25 पर आ गया अम्बाला कैंट और 11.20 पर पहुंचे चंडीगढ़ गाड़ी 5 से 8 मिनट तक रुकी और फिर रवाना हुई अपने असली मुकाम की ओर ,और ठीक 12 बजे हम कालका स्टेशन पर उतर गए |

अब कालका से आपके पास कई साधन हैं शिमला पहुँचने के जिसकी दूरी लगभग 96 किलोमीटर रेल मार्ग से और 99 किलोमीटर सड़क मार्ग से है | बस अड्डे के लिए आपको स्टेशन से ऑटो मिल जाते हैं |

1. टॉय ट्रेन :- छोटी ट्रेन जो कालका से शिमला तक आपको पहुंचाती है | इसका आम किराया 50 रुपये है और आरक्षित सीट का किराया 250 रुपये है जिसकी सीट कुछ सुविधाजनक है |
2. यहीं से चलती है डीलक्स रेल कार जिसमे एक ही डिब्बा होता है और 18 सीट होती हैं ,जिसका किराया है 650 रुपये प्रति यात्री जो वातानुकूलित है और उसमें आपको चाय नाश्ता भी दिया जाता है | डीलक्स रेल मोटर कार की छत पारदर्शी फाइबर-ग्लास की बनी है, जिससे आसमान बिल्कुल साफ दिखता है। यह विदेशी, खासकर ब्रिटिश पर्यटकों और भारतीय उद्योगपतियों में बहुत लोकप्रिय है। पूरी मोटर कार भी बुक करवाई जा सकती है। कालका से शिमला तक की दूरी तय करने में इसे चार घंटे और 25 मिनट का समय लगता है।
3. आप टैक्सी करके जा सकते हैं जो आपसे 2500 रुपये से 3000 रुपये तक ले लेते हैं और लगभग 3 घंटे में आपको पहुंचा देते हैं | कुशल ड्राईवर ही लें यहाँ से |
4. आप रोडवेज की बस पकड़ कर भी जा सकते हैं जिसका आम बस का किराया 100 रुपये है और डीलक्स बस का किराया लगभग 200 रुपये है | यह आपको लगभग 3.30 घंटे में शिमला पहुंचाती है |

हमने टॉय ट्रेन से जाने का फैसला किया इसलिए उसकी आठ टिकट ले ली गई 50 रुपये प्रति टिकट | एक गाड़ी जाने को तैयार खड़ी थी | दूसरी 12.45 पर जाने वाली थी , जब गाड़ी देखने लगे तो पता चला इसकी सीट आरक्षित भी हो सकती हैं उसका किराया 250 रुपये है प्रति टिकट जिसमे कोई ख़ास फर्क हमें नजर नहीं आया सिवाए इसके की उसकी सीट थोड़ी खुली लग रही थी फिर भी हमने 1600 रुपये और देकर सीट आरक्षित करवा ली जिसका अलग काउंटर लगा हुआ था | अब समय हो चुका था इसलिए हम सब गाडी में बैठ गए और शुरू हुआ हमारा कालका से शिमला का सफ़र ,यह सीटें कुछ खुली तो जरुर थीं पर दो लोग सही से इस पर बैठ भी नही पा रहे थे इसमें 30 सीट थीं और एक छोटा सा शौचालय भी इसमें था | 
टॉय ट्रेन नैरो गेज पर चलती है इसकी रफ़्तार 20 किलोमीटर प्रति घंटा रहती है ऐसा बताया जाता है लेकिन यह बीच में बहुत बार रूकती हुई जाती है ताकि दूसरी तरफ से आने वाली ट्रेन क्रॉस कर सके | 







कालका से शिमला के बीच आने वाले स्टेशन

1. कालका 2. टकसाल 3. गुम्मन 4. कोटी 5. जाबली 6. सनवारा 7. धर्मपुर 8. डगशांई 9. बड़ोग 10. सोलन ब्रूरी 11. सलोगड़ा 12. कंडाघाट 13. कैथलीघाट 14. शोधी 15. तारादेवी 16. जलोग 17. समरहिल 18. शिमला
            कोटी क्रासिंग स्टेशन जो सबसे पहले आया उस पर जब रुकने के बाद ट्रेन दोबारा चली तो 2 बज चुके थे | धीरे धीरे कछुआ चाल से अपने गंतव्य की तरफ हम आगे बढ़ रहे थे रेल मार्ग में 103 छोटी बड़ी सुरंग आती हैं जब क्रासिंग स्टेशन पर गाड़ी रूकती तो कुछ खोमचे वाले अपना सामान बेचते हैं ,बाकि रास्ते में खाने की कोई सुविधा नही है अगर आप बच्चों के साथ हैं तो खाने का कुछ प्रबंध कर के ही जाइये | सब लोग बहुत थक चुके थे क्योंकि इस रास्ते से दोगुना समय लगा यानि लगभग 7 घंटे, हम ठीक 7 बजे शिमला स्टेशन पर पहुँच चुके थे | 
यहाँ से बाहर निकलने के लिए और ऊपर होटल तक पहुँचने के लिए हमने कुली से सामान उठवाया और पहुँच गए माल रोड के शुरू में हम सब वहां बैठकर इंतज़ार करने लगे और 2 लोग होटल वगेरह देखने चले गए कुली के साथ| 
8 बज चुके थे सब बुरी तरह से थक चुके थे एक होटल रिज व्यू पसंद आया चर्च के पीछे ऊपर जाकर ठीक रिज चौंक के पास जिसके लिए लगभग 3 किलोमीटर सबको चल कर जाना था क्योंकि वहां कोई रिक्शा वगेरह की सुविधा नहीं है सभी को पहले ही रोक दिया जाता है ,कोई गाड़ी वगेरह भी अंदर प्रवेश नहीं कर सकती | आखिरकार चलते चलते हम 9 बजे होटल पहुँचे बुरी तरह से थकान से चूर चूर | 



उसके बाद वहीँ हमने खाना मंगवा लिया क्योंकि दोबारा उतरकर नीचे जाना और फिर वापिस आना सबके लिए मुश्किल था ,टॉय ट्रेन ने हमें टॉय की तरह ही तोड़ कर रख दिया था | 

शिमला यात्रा भाग 2. क्रमशः ...

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