दूसरा दिन :--
दूसरे दिन सब आराम से उठकर तैयार हुए , खूब बरसात होने लगी थी इसलिए होटल में ही थोडा नाश्ता ले लिया ,वैसे तो शिमला के आसपास घूमने जाने का प्रोग्राम था लेकिन बारिश के कारण 12 बज चुके थे ,इसलिए सब ने यहीं शिमला में ही घूमने का फैसला किया यहाँ तीन रोड लगभग समान्तर चलती हैं सबसे ऊपर रिज रोड ,फिर नीचे माल रोड और उसके नीचे है नीचा बाजार रोड है | रिज रोड पर लायब्रेरी है और कुछ होटल हैं ,माल रोड पर थाना , नगर निगम दफ्तर है ,फायर स्टेशन है और बहुत सारे होटल ढाबे , दुकानें हैं यह एक खुला बाजार है |
इसके ठीक नीचे छोटा बाजार है जो दिल्ली के चांदनी चौंक की तरह तंग बाजार है और ये दुकानों से पटा हुआ है ,यहाँ बाकी दुकानों के इलावा कपडे की,जूतों की और किताबों की बहुत दुकानें हैं ,शौपिंग के लिए यह एक परफेक्ट बाजार है |
यहाँ शॉपिंग करने के बाद और खाना वगेरह खाने के बाद हम घूमते हुए वापिस होटल पहुँच गए | आराम करने के बाद शाम ढलने के साथ ही हम वापिस पहुंचे चौंक पर यहाँ बिलकुल इंडिया गेट जैसा माहौल रहता है काफी चहल पहल थी बच्चे घुड़सवारी का मजा ले रहे थे ,धुंध धीरे धीरे बढ़ने लगी और मौसम सुहावना होता गया , सब लोग वहां मौसम का मजा ले रहे थे | कोई फोटो के पोज़ ले रहा था कोई कुछ खाने का मजा ले रहे थे | वहां लकड़ी से बने बेंच लगे हुए हैं ,यहाँ जब कोई प्रोग्राम वगेरह होता है तो सब इन पर बैठ सकते हैं | ऐसे ही घूमते फिरते ,खाते पीते सब ने खूब मजे किये |
इसके ठीक पीछे की तरफ है लक्कड़ बाजार ,यहाँ लकड़ी से बना हुआ सामान मिलता है खासकर यह बाजार स्मृति चिन्हों के लिए प्रसिद्ध है यहाँ से आप शिमला के उपहार खरीद कर ले जा सकते हैं भेंट स्वरुप देने के लिए | कुछ कपड़े की भी यहाँ दुकानें हैं शिमला में ज्यादा दुकानें सरदार चलाते हैं क्योंकि यह चंडीगढ़ के पास है |
हम लोग खरीदारी करके फिर वापिस होटल पहुँच गए और थोड़ा आराम करने के बाद रात को वापिस निकले भोजन करने के लिए ,यहाँ पर आपके लिए बहुत सारे आप्शन हैं जो खाना चाहें ,जैसा खाना खाना चाहें,एक तरफ ढाबे का खाना है तो एक तरफ अच्छे अच्छे रेसटोरेंट भी हैं ,सागर रत्ना भी यहाँ मौजूद है | बालूजी में खाना खाने के बाद हम वापिस होटल आ गए |
तीसरा दिन :--
आज मौसम बहुत साफ़ था कोई बारिश नहीं और हमने प्रोग्राम बनाया जाखू मंदिर जाने का ,वो भी सुबह सुबह ताकि हम बच्चों के उठने से पहले होकर वापिस आ जाएँ क्योंकि बच्चों का मंदिर जाने का कोई विचार नहीं था | इसलिए हम पांच लोग जाखू मंदिर के लिए निकले |
जाखू मंदिर जाने के लिए
1.एक तो आप रिज के पास से रास्ता जाता है वहां से जा सकते हैं जो पैदल चढ़ाई करना चाहते हों ,एक दम सीधी चढ़ाई है इसलिए थोड़ी कठिन है पर दो घंटे में आप चढ़ाई कर सकते हैं |
2.दूसरा चर्च के पीछे से एक गवर्मेंट की टैक्सी चलती है वहां से जा सकते हैं वो केवल एक ही टैक्सी है जो वहां के स्थानीय लोगों के लिए सरकार द्वारा लगाई गई है उसी में वो कुछ यात्रियों को भी बिठा लेते हैं 10-10 रुपये लेकर ,उसके आते ही लोग झपट पड़ते हैं जो घुस गया वोही जा सकता है |
3.पोनी द्वारा भी आप चढ़ाई कर सकते हैं |
4. तीसरा आप किराये की टैक्सी लेकर भी वहां जा सकते हैं जिसका किराया सिर्फ वहीँ जाने के लिए 300 या 400 है ,अगर आप किसी और ट्रिप के साथ उसे लेते हैं तो इसका किराया 200 रुपये लिया जाता है | जाखू मंदिर जाने के लिए रिज के पास से ही रास्ता जाता है यह 2.5 किलोमीटर दूर है ,यहाँ पैदल, पोनी से या टैक्सी से जाया जा सकता है | भगवान हनुमान को समर्पित यह धार्मिक स्थल 'रिज' के निकट स्थित है।
जाखू मंदिर, जाखू पहाड़ी पर स्थित है | बर्फीली चोटियों, घाटियों और शिमला शहर का सुंदर और मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ से पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त के लुभावने दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
तो जनाब हमने प्राइवेट टैक्सी लेने की सोची जो की एक किलोमीटर दूर खड़ी थी पहले वहां तक पैदल मार्च करना पड़ा हमें ,वहां पहुँचने के लिए हमें आधा घंटा लग गया
उसके बाद हम टैक्सी में बैठे ,रास्ता काफी खतरनाक था सीधी चढ़ाई थी सिर्फ 15 मिनट में ही हम पहुँच गए हनुमान जी के जाखू मंदिर | गाड़ी से उतरने से पहले ही हमें ड्राईवर ने हिदायत कर दी की चश्मा उतार कर जेब में रख लें पर्स ,बैग या तो छुपा लें या यहीं गाड़ी में छोड़ कर जायें क्योंकि वहां के बंदर बहुत बदमाश हैं वो सब छीन ले जाते हैं | मंदिर के द्वार पर ही पहुंचे की किसी ने कहा लाठी साथ लेकर चलें बंदर बहुत हैं ,तब लाठी बेचने वाले ने कहा साथ प्रसाद लेना अनिवार्य है | खैर हम चल पड़े बंदरों से बचते बचाते सीड़ियाँ चढ़ते हुए ऊपर खुले मैदान में पहुंचते ही फिर बंदर हमारे पीछे पीछे आ गए क्योंकि मैंने अपना पर्स दुपट्टे के नीचे छुपा रखा था | मेरा दुपट्टा छीनने लगे ,तभी डैडी ने अपनी बेल्ट निकाली तो तब वो थोड़ा दूर भागे | आप पर्स वगेरह कुछ ना लेकर जायें तो बंदर दूर ही रहते हैं |
तब मंदिर के बाहर ही एक कमरा बना हुआ था जिसमें चप्पल वगेरह अपना सामान रख सकते थे |
उसके बाद मंदिर में गए यहाँ बाहर एक कर्मचारी वर्दी में तैनात था जो लाठी लिए हुए बंदरों को मंदिर में घुसने से हटा रहा था | मंदिर में जाकर दर्शन कर ,परिकर्मा की| वहां एक बोर्ड के ऊपर लिखा था की जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तो यहाँ वो थोड़ी देर रुके थे | मंदिर दर्शन के बाद हम वापिस चप्पल पहन बंदरों से बचते बचाते गाड़ी तक पहुंचे | जो 15 मिनट में वापिस हमें ले आई ,उसके बाद फिर वोही आधा घंटा चल कर हम दोबारा होटल में पहुँच गए |
सभी तब तक तैयार हो चुके थे इसलिए हम सबने आसपास के दर्शनीय स्थलों को देखने का फैसला किया | इसके लिए हम रिज रोड पर आगे निकल गए क्योंकि वहां बहुत टैक्सी वाले दलाल आपको मिल जाते हैं , जिसका पता हमने लिया था उसके पास ही हम पहुँच गए उसके पास तीन चार अलग अलग ट्रिप की लिस्ट थी जिसमें से हमने पहला ट्रिप लिया जिसमें उसने हमें कुफरी,इंदिरा टूरिस्ट पार्क,चीनी बंगलो,फागू वैली ,नाग मंदिर दिखाना था | जिसका रेट 1400 रुपये बताया गया बड़ी गाड़ी का जबकि छोटी गाड़ी का रेट 1000 रुपये था ,वो 1600 रुपये में हमें ले जाने के लिए तैयार हो गया जिसमें हमने एक दूसरे ट्रिप की जगह एम्यूजमेंट पार्क भी शामिल किया था, जिसके 200 रुपये उसने फालतू लिए थे |
अब चले हम घोड़ों पर होकर सवार फागू वैली के लिए |हम आठ लोगों के साथ सिर्फ दो घोड़ों के रखवाले थे और रास्ता इतना गन्दा ,ऊँचा नीचा ,गहरे खड्डे और कहीं कहीं घुटनों घुटनों तक दलदल | जिसमें से सब राम राम करते ही निकल रहे थे | बचते बचाते हुए,घोड़ेवाले के निर्देशों का पालन करते हुए ...जैसे चढ़ाई के वक्त वो बोलता आगे झुको और पैर पीछे उतराई के वक्त वो बोलता पीछे को झुको और पैर आगे रखो ...
आखिर पहुंचे हम सब फागू वैली यहाँ घोड़े वाले ने उतार दिया और बोला एक घंटे बाद फ़ोन कर दें उसे बुलाने के लिए |
फागू वैली एक उजड़े हुए खेत के सिवाए कुछ भी नहीं था ,यहाँ दो याक थे जिस पर लोग फोटो खिंचवा रहे थे ,कुछ स्टाल टाइप की दुकानें जिन पर मैग्गी ,पेप्सी वगेरह मिल रही थी | एक दो दुकानों पर शाल स्वेटर भी रखे थे ,क्योंकि बारिश में ऊपर ठण्ड हो जाती होगी | वहां बैठे बैठे सबने मैग्गी वगेरह ले ली थी | फिर सब इधर उधर घूमने लगे ,हम कुछ लोग ऊपर नाग मंदिर चले गए |
थोड़ी दूरी पर ही यह मंदिर सामने ही नजर आता है वहां 20..25 सीड़ियाँ हैं यहाँ जाकर हम माथा टेक वापिस आ गए फोटो खींचते खिंचाते हुए ,यहीं साथ ही सेबों के बहुत से पेड़ हैं जिसे एप्पल वेल्ली के नाम से जाना जाता है |यहाँ भी बंदर बहुत नजर आते हैं |
यहाँ से हम वापिस लौटे और फिर आकर घोड़े वाले को फ़ोन किया जो 15..20 मिनट में आ गया | फिर से हमें घोड़ों पर चढ़ाया गया पैर फंसाये गए और हिदायतें देते हुए हमें नीचे उतारने लगे घोड़े वाले |घोड़े अपनी मन मर्जी से चलते हुए हमें ढो कर चल ही रहे थे ,जब हम पहुँचने ही वाले थे तभी बेटे अभिषेक का घोड़ा गिर पड़ा और वो पता नही कैसे अपने पैर निकाल कर एक साइड को उछल गया यहाँ घोड़े वाले ने उसे एक दम से पकड़ लिया और वो ओंधे मुंह गिरने से बच गया | बस 5 मिनट बाद ही हम सब भी नीचे पहुँच गए और घोड़ों से उतर गए |
यहाँ घोड़ों पर चढ़ना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है इनके चक्कर में ना आयें | एक तो वहां देखने लायक कुछ भी नहीं दूसरा वहां पहुँचने का रास्ता बिल्कुल असुरक्षित है |सर्दिओं में यहाँ बर्फ़बारी देखने लोग आ सकते हैं | इसे देखने के बाद हम दोबारा गाड़ी में बैठ कर पहुँचे चिड़ियाघर देखने ,यहाँ की टिकट 10 रुपये थी ,हमने टिकट ले ली और चले जानवरों से रूबरू होने ..यह काफी बड़ी जगह में फैला हुआ है और जानवर खुले में पता नहीं कहाँ कहाँ छुपे बैठे थे उनके आसपास काफी बड़ी बाड़ लगी हुई थी | वहां ज्यादा जानवर नहीं हैं |
इसे देखने के बाद हम वापिस आ गए क्योंकि चीनी बंगले में कुछ देखने लायक था नहीं सिर्फ एक पुराना बंगला है जिसमे अब रेस्तौरेंट बना दिया गया है | यहाँ खाने को भी ख़ास कुछ नहीं मिलता |
हम वापिस शिमला की तरफ चल पड़े | रास्ते में ही कुफरी से आते हुए 'हिप हिप हुर्रे' के नाम से एक एम्यूजमेंट पार्क है जिसमें बच्चों के लिए करने को काफी कुछ है ,इसकी प्रवेश टिकट तो 20 रुपये है लेकिन अंदर झूले लेने की या कुछ गेम के पैकज हैं जो 250 रुपये से 450 रुपये प्रति व्यक्ति टिकट है | इसमें एक रेस्तोरेंट भी है जिसमें आप चाय नाश्ता ले सकते हैं या खाना भी खा सकते हैं |यहाँ एक कपड़े की और एक मिठाई की दुकान है यहाँ कई प्रकार के फलों की बर्फी मिलती है | यहाँ सबने खूब मस्ती की ,फिर चाय पकौड़े लिए और बर्फी लेकर उसके बाद दोबारा हम बाहर आकर गाड़ी में बैठ गए |
रास्ते में शिमला से कुछ किलोमीटर ही दूर ग्रीन वैल्ली है यहाँ गाड़ी रोकी गई ,वहां सड़क पर ही खड़े होकर आप बस पीछे के हरे भरे पेड़ों की तस्वीर ले सकते हैं इसी को ग्रीन वैल्ली कहते हैं |
इसके बाद हम सब वापिस पहुँचे शिमला के टैक्सी स्टैंड की तरफ जो लक्कड़ बाजार के पास है | वहां टैक्सी वाले ने हमें उतार दिया ,यहाँ से फिर पैदल चल कर आपको जाना पड़ता है ,यहाँ से आगे गाड़ियाँ नहीं जाती हैं | हम वापिस बाजार में घूमते हुए वापिस होटल पहुँचे और कुछ चाय पकौड़े का दौर चला और साथ ही सब पैकिंग वगेरह करने लगे क्योंकि सुबह हमें निकलना था ,थोड़ी देर सबने आराम किया और फिर रात को हम सब खाना खाने के लिए निकले | हमने खाना खाया और वापिस होटल पहुँच गए और बाकी की पैकिंग हमने कर ली और सो गए |
शिमला रात का नजारा
दूसरे दिन सब आराम से उठकर तैयार हुए , खूब बरसात होने लगी थी इसलिए होटल में ही थोडा नाश्ता ले लिया ,वैसे तो शिमला के आसपास घूमने जाने का प्रोग्राम था लेकिन बारिश के कारण 12 बज चुके थे ,इसलिए सब ने यहीं शिमला में ही घूमने का फैसला किया यहाँ तीन रोड लगभग समान्तर चलती हैं सबसे ऊपर रिज रोड ,फिर नीचे माल रोड और उसके नीचे है नीचा बाजार रोड है | रिज रोड पर लायब्रेरी है और कुछ होटल हैं ,माल रोड पर थाना , नगर निगम दफ्तर है ,फायर स्टेशन है और बहुत सारे होटल ढाबे , दुकानें हैं यह एक खुला बाजार है |
यहाँ शॉपिंग करने के बाद और खाना वगेरह खाने के बाद हम घूमते हुए वापिस होटल पहुँच गए | आराम करने के बाद शाम ढलने के साथ ही हम वापिस पहुंचे चौंक पर यहाँ बिलकुल इंडिया गेट जैसा माहौल रहता है काफी चहल पहल थी बच्चे घुड़सवारी का मजा ले रहे थे ,धुंध धीरे धीरे बढ़ने लगी और मौसम सुहावना होता गया , सब लोग वहां मौसम का मजा ले रहे थे | कोई फोटो के पोज़ ले रहा था कोई कुछ खाने का मजा ले रहे थे | वहां लकड़ी से बने बेंच लगे हुए हैं ,यहाँ जब कोई प्रोग्राम वगेरह होता है तो सब इन पर बैठ सकते हैं | ऐसे ही घूमते फिरते ,खाते पीते सब ने खूब मजे किये |
इसके ठीक पीछे की तरफ है लक्कड़ बाजार ,यहाँ लकड़ी से बना हुआ सामान मिलता है खासकर यह बाजार स्मृति चिन्हों के लिए प्रसिद्ध है यहाँ से आप शिमला के उपहार खरीद कर ले जा सकते हैं भेंट स्वरुप देने के लिए | कुछ कपड़े की भी यहाँ दुकानें हैं शिमला में ज्यादा दुकानें सरदार चलाते हैं क्योंकि यह चंडीगढ़ के पास है |
हम लोग खरीदारी करके फिर वापिस होटल पहुँच गए और थोड़ा आराम करने के बाद रात को वापिस निकले भोजन करने के लिए ,यहाँ पर आपके लिए बहुत सारे आप्शन हैं जो खाना चाहें ,जैसा खाना खाना चाहें,एक तरफ ढाबे का खाना है तो एक तरफ अच्छे अच्छे रेसटोरेंट भी हैं ,सागर रत्ना भी यहाँ मौजूद है | बालूजी में खाना खाने के बाद हम वापिस होटल आ गए |
तीसरा दिन :--
आज मौसम बहुत साफ़ था कोई बारिश नहीं और हमने प्रोग्राम बनाया जाखू मंदिर जाने का ,वो भी सुबह सुबह ताकि हम बच्चों के उठने से पहले होकर वापिस आ जाएँ क्योंकि बच्चों का मंदिर जाने का कोई विचार नहीं था | इसलिए हम पांच लोग जाखू मंदिर के लिए निकले |
जाखू मंदिर जाने के लिए
1.एक तो आप रिज के पास से रास्ता जाता है वहां से जा सकते हैं जो पैदल चढ़ाई करना चाहते हों ,एक दम सीधी चढ़ाई है इसलिए थोड़ी कठिन है पर दो घंटे में आप चढ़ाई कर सकते हैं |
2.दूसरा चर्च के पीछे से एक गवर्मेंट की टैक्सी चलती है वहां से जा सकते हैं वो केवल एक ही टैक्सी है जो वहां के स्थानीय लोगों के लिए सरकार द्वारा लगाई गई है उसी में वो कुछ यात्रियों को भी बिठा लेते हैं 10-10 रुपये लेकर ,उसके आते ही लोग झपट पड़ते हैं जो घुस गया वोही जा सकता है |
3.पोनी द्वारा भी आप चढ़ाई कर सकते हैं |
4. तीसरा आप किराये की टैक्सी लेकर भी वहां जा सकते हैं जिसका किराया सिर्फ वहीँ जाने के लिए 300 या 400 है ,अगर आप किसी और ट्रिप के साथ उसे लेते हैं तो इसका किराया 200 रुपये लिया जाता है | जाखू मंदिर जाने के लिए रिज के पास से ही रास्ता जाता है यह 2.5 किलोमीटर दूर है ,यहाँ पैदल, पोनी से या टैक्सी से जाया जा सकता है | भगवान हनुमान को समर्पित यह धार्मिक स्थल 'रिज' के निकट स्थित है।
जाखू मंदिर, जाखू पहाड़ी पर स्थित है | बर्फीली चोटियों, घाटियों और शिमला शहर का सुंदर और मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ से पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त के लुभावने दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
तो जनाब हमने प्राइवेट टैक्सी लेने की सोची जो की एक किलोमीटर दूर खड़ी थी पहले वहां तक पैदल मार्च करना पड़ा हमें ,वहां पहुँचने के लिए हमें आधा घंटा लग गया
उसके बाद हम टैक्सी में बैठे ,रास्ता काफी खतरनाक था सीधी चढ़ाई थी सिर्फ 15 मिनट में ही हम पहुँच गए हनुमान जी के जाखू मंदिर | गाड़ी से उतरने से पहले ही हमें ड्राईवर ने हिदायत कर दी की चश्मा उतार कर जेब में रख लें पर्स ,बैग या तो छुपा लें या यहीं गाड़ी में छोड़ कर जायें क्योंकि वहां के बंदर बहुत बदमाश हैं वो सब छीन ले जाते हैं | मंदिर के द्वार पर ही पहुंचे की किसी ने कहा लाठी साथ लेकर चलें बंदर बहुत हैं ,तब लाठी बेचने वाले ने कहा साथ प्रसाद लेना अनिवार्य है | खैर हम चल पड़े बंदरों से बचते बचाते सीड़ियाँ चढ़ते हुए ऊपर खुले मैदान में पहुंचते ही फिर बंदर हमारे पीछे पीछे आ गए क्योंकि मैंने अपना पर्स दुपट्टे के नीचे छुपा रखा था | मेरा दुपट्टा छीनने लगे ,तभी डैडी ने अपनी बेल्ट निकाली तो तब वो थोड़ा दूर भागे | आप पर्स वगेरह कुछ ना लेकर जायें तो बंदर दूर ही रहते हैं |
तब मंदिर के बाहर ही एक कमरा बना हुआ था जिसमें चप्पल वगेरह अपना सामान रख सकते थे |
सभी तब तक तैयार हो चुके थे इसलिए हम सबने आसपास के दर्शनीय स्थलों को देखने का फैसला किया | इसके लिए हम रिज रोड पर आगे निकल गए क्योंकि वहां बहुत टैक्सी वाले दलाल आपको मिल जाते हैं , जिसका पता हमने लिया था उसके पास ही हम पहुँच गए उसके पास तीन चार अलग अलग ट्रिप की लिस्ट थी जिसमें से हमने पहला ट्रिप लिया जिसमें उसने हमें कुफरी,इंदिरा टूरिस्ट पार्क,चीनी बंगलो,फागू वैली ,नाग मंदिर दिखाना था | जिसका रेट 1400 रुपये बताया गया बड़ी गाड़ी का जबकि छोटी गाड़ी का रेट 1000 रुपये था ,वो 1600 रुपये में हमें ले जाने के लिए तैयार हो गया जिसमें हमने एक दूसरे ट्रिप की जगह एम्यूजमेंट पार्क भी शामिल किया था, जिसके 200 रुपये उसने फालतू लिए थे |
कुफरी
इसके बाद हम गाड़ी में बैठ निकले कुफरी की तरफ जो शिमला से 16 किलोमीटर दूर है ,रास्ते में एक जगह उसने रोक कर कहा यह ग्रीन वैली है ,हमने वापिसी में दिखाने के लिए कहा ,पहले सीधे कुफरी जाने की इच्छा जताई | कुफरी पहुँच कर उसने हमें उतार दिया गाड़ी पार्क कर दी और कहा यहाँ से घोड़े जाते हैं जो आपको फागू वैली नाग मंदिर महासू पीक एप्पल गार्डन दिखायेंगे | वहां से हमने घोड़े किये जिसका रेट तह था 380 रुपये प्रति सवारी ,घोड़े वाले ने जाने से पहले ही आगाह किया... पहुँचने में थोड़ा समय लगेगा आप लघुशंका से निवृत हो लें यहाँ पर भी उसकी सेटिंग थी ,अंदर गंदे से शौचालय में जाने के लिए 5 रुपये लिए गए |आखिर पहुंचे हम सब फागू वैली यहाँ घोड़े वाले ने उतार दिया और बोला एक घंटे बाद फ़ोन कर दें उसे बुलाने के लिए |
यहाँ से हम वापिस लौटे और फिर आकर घोड़े वाले को फ़ोन किया जो 15..20 मिनट में आ गया | फिर से हमें घोड़ों पर चढ़ाया गया पैर फंसाये गए और हिदायतें देते हुए हमें नीचे उतारने लगे घोड़े वाले |घोड़े अपनी मन मर्जी से चलते हुए हमें ढो कर चल ही रहे थे ,जब हम पहुँचने ही वाले थे तभी बेटे अभिषेक का घोड़ा गिर पड़ा और वो पता नही कैसे अपने पैर निकाल कर एक साइड को उछल गया यहाँ घोड़े वाले ने उसे एक दम से पकड़ लिया और वो ओंधे मुंह गिरने से बच गया | बस 5 मिनट बाद ही हम सब भी नीचे पहुँच गए और घोड़ों से उतर गए |
यहाँ घोड़ों पर चढ़ना बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है इनके चक्कर में ना आयें | एक तो वहां देखने लायक कुछ भी नहीं दूसरा वहां पहुँचने का रास्ता बिल्कुल असुरक्षित है |सर्दिओं में यहाँ बर्फ़बारी देखने लोग आ सकते हैं | इसे देखने के बाद हम दोबारा गाड़ी में बैठ कर पहुँचे चिड़ियाघर देखने ,यहाँ की टिकट 10 रुपये थी ,हमने टिकट ले ली और चले जानवरों से रूबरू होने ..यह काफी बड़ी जगह में फैला हुआ है और जानवर खुले में पता नहीं कहाँ कहाँ छुपे बैठे थे उनके आसपास काफी बड़ी बाड़ लगी हुई थी | वहां ज्यादा जानवर नहीं हैं |
हम वापिस शिमला की तरफ चल पड़े | रास्ते में ही कुफरी से आते हुए 'हिप हिप हुर्रे' के नाम से एक एम्यूजमेंट पार्क है जिसमें बच्चों के लिए करने को काफी कुछ है ,इसकी प्रवेश टिकट तो 20 रुपये है लेकिन अंदर झूले लेने की या कुछ गेम के पैकज हैं जो 250 रुपये से 450 रुपये प्रति व्यक्ति टिकट है | इसमें एक रेस्तोरेंट भी है जिसमें आप चाय नाश्ता ले सकते हैं या खाना भी खा सकते हैं |यहाँ एक कपड़े की और एक मिठाई की दुकान है यहाँ कई प्रकार के फलों की बर्फी मिलती है | यहाँ सबने खूब मस्ती की ,फिर चाय पकौड़े लिए और बर्फी लेकर उसके बाद दोबारा हम बाहर आकर गाड़ी में बैठ गए |
शिमला रात का नजारा
शिमला यात्रा वृतांत भाग 3.क्रमशः...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें