शनिवार, 11 मई 2013

'वैष्णो देवी यात्रा' भाग 1.


दोस्तो आज बताने जा रही हूँ 'वैष्णो देवी यात्रा' के बारे में जिसका बुलावा आता है ऐसा मुझे भी महसूस हुआ,जब 18 फरवरी की निश्चित यात्रा पर नहीं जा सकी जिसकी टिकटें दो महीने पहले से ही बुक थीं | अब जब 27 अप्रैल को तत्काल में टिकट बुक करने बैठे तो मन में यही विचार थे कि अगर बुलावा आया होगा तो टिकट मिल जाएगी अन्यथा जाना रद्द कर दिया जाएगा |इसी तरह का एक विश्वास और इसके साथ जुड़ जाता है दाने दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम ,क्योंकि वहां के खाने पर हमारा नाम लिखा था शायद इसीलिए हम खिंचे चले गए |

हिंदू महाकाव्य के अनुसार:--
मां वैष्णो देवी ने भारत के दक्षिण में रत्नाकर सागर के घर जन्म लिया. उनके लौकिक माता-पिता लंबे समय तक निःसंतान थे. दैवी बालिका के जन्म से एक रात पहले, रत्नाकर ने वचन लिया कि बालिका जो भी चाहे, वे उसकी इच्छा के रास्ते में कभी नहीं आएंगे. मां वैष्णो देवी को बचपन में त्रिकुटा नाम से बुलाया जाता था. बाद में भगवान विष्णु के वंश से जन्म लेने के कारण वे वैष्णवी कहलाईं. जब त्रिकुटा 9 साल की थीं, तब उन्होंने अपने पिता से समुद्र के किनारे पर तपस्या करने की अनुमति चाही. त्रिकुटा ने राम के रूप में भगवान विष्णु से प्रार्थना की. सीता की खोज करते समय श्री राम अपनी सेना के साथ समुद्र के किनारे पहुंचे. उनकी दृष्टि गहरे ध्यान में लीन इस दिव्य बालिका पर पड़ी. त्रिकुटा ने श्री राम से कहा कि उसने उन्हें अपने पति के रूप में स्वीकार किया है. श्री राम ने उसे बताया कि उन्होंने इस अवतार में केवल सीता के प्रति निष्ठावान रहने का वचन लिया है. लेकिन भगवान ने उसे आश्वासन दिया कि कलियुग में वे कल्कि के रूप में प्रकट होंगे और उससे विवाह करेंगे.
इस बीच, श्री राम ने त्रिकुटा से उत्तर भारत में स्थित माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में अवस्थित गुफ़ा में ध्यान में लीन रहने के लिए कहा.रावण के विरुद्ध श्री राम की विजय के लिए मां ने 'नवरात्र' मनाने का निर्णय लिया. इसलिए उक्त संदर्भ में लोग, नवरात्र के 9 दिनों की अवधि में रामायण का पाठ करते हैं. श्री राम ने वचन दिया था कि समस्त संसार द्वारा मां वैष्णो देवी की स्तुति गाई जाएगी. त्रिकुटा, वैष्णो देवी के रूप में प्रसिद्ध होंगी और सदा के लिए अमर हो जाएंगी.
पहला दिन 
नई दिल्ली से जम्मू :---
         हमने सपरिवार जाने के लिए राजधानी की टिकट बुक की थी 28 अप्रैल,2013 की रात 8.40 की गाड़ी थी नई दिल्ली स्टेशन से ,समय कम था इसलिए जल्दी से तैयारी करनी पड़ी और हमने 6 बजे की कैब बुक की थी ,जो समय पर आ पहुंची थी |हमने उसमें अपना सामान रखा और चल दिए रेलवे स्टेशन की तरफ |खाना ले जाने की चिंता नहीं थी ,गाड़ी में ही खाना मिलना था क्योंकि आजकल रेलवे ने काफी सुविधाएँ मुहैया करवाई हैं |जबकि रेलवे का खाना बहुत घटिया था और सरकारी कर्मचारी खाने के बाद सबसे टिप ले रहा था|बिस्तर की सुविधा ठीक थी, क्योंकि थ्री टायर एसी की सीट ही मिली थी इसलिए सोने के लिए तो ठीक था पर बैठना मुश्किल था उसके लिए एक सीट पैक करना जरुरी था |गाड़ी समय पर थी इसलिए बिना देरी के ही हम बिल्कुल समय पर जम्मू पहुँच गए |वैसे वोल्वो बस की सुविधा भी आपके लिए हाजिर है|
यहाँ तक कि कुछ तस्वीरें ....





वैष्णोदेवी यात्रा भाग 2.क्रमशः ......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...